इमरान खान ने कहा है कि वे 11 अगस्त को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। माना जा रहा है कि छह सीटों वाली मुताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान, दो सीटों वाले द ग्रेंड डेमोक्रेटिक अलायंस, चार-चार सीटों वाली पीएमएल-कैद और बलूचिस्तान अवामी पार्टी इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) को समर्थन देंगी।
पांच निर्दलीय सांसद भी इमरान को समर्थन दे सकते हैं। इन सभी की कुल संख्या 137 होती है। बहुमत के लिए भी यही आंकड़ा चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरान से बात की और उन्हें चुनाव में जीत की बधाई दी। मोदी ने उम्मीद जताई की पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी।
उधर, नेशनल असेंबली में नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की 64 और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की 43 सीटें हैं। इमरान को सरकार बनाने से रोकने के लिए पीएमएल-एन और पीपीपी ने गठबंधन का ऐलान किया है।
इससे पहले 2002 में पीएमएल-एन और पीपीपी ने सरकार विरोधी गठबंधन बनाया था। उस दौरान परवेज मुशर्रफ ने जफरुल्ला जमाली को प्रधानमंत्री बनाया था।संसद में इमरान को घेरने के लिए पीएमएल-एन और पीपीपी ने एक साथ आने का ऐलान किया।
इसे लेकर रविवार को दोनों पार्टियों के नेताओं की बैठक हुई। पीएमएल-एन के नेता मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा दोनों पार्टियों का मानना है कि चुनाव के नतीजे उलट आए। एक तरह से चुनाव को चुरा लिया गया था। अब सरकार को घेरने के लिए हम संयुक्त रणनीति बनाएंगे।
पीपीपी के नेताओं ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान से बात कर उन्हें इस बात के लिए मनाने की कोशिश की कि वे संसद के बहिष्कार का अपना फैसला बदलें। पीपीपी की नेता शेरी रहमान ने कहा पहले भी चुनाव या संसद के बहिष्कार के फैसले का अच्छा अनुभव नहीं रहा। अगर मौलाना संसद में नहीं आएंगे तो ये सरकार को वॉकओवर देने जैसा रहेगा।