तालिबान के समर्थन में इमरान नियाजी तालिबानियों के काजी बन गए हैं. पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता दिलाने की कुछ ज्यादा ही हड़बड़ी में है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री तालिबान के फेवर में अलग-अलग देशों के चक्कर लगा रहे हैं. गुहार लगा रहे हैं कि तालिबान को दुनिया मान्यता दे दे.
लेकिन हैरानी है कि पाकिस्तान ने खुद अब तक तालिबान को अपने देश में मान्यता की स्पष्ट घोषणा नहीं की है. यानी तालिबान से भी इमरान नियाजी का छल दिखने लगा है.अफगानिस्तान पर तालिबान के आलोकतांत्रिक कब्जे के बाद सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान दिख रहा है. इ
स खुशी का इजहार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुलेआम कर चुके हैं. इमरान खान ने तो अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को आजादी की बात से जोड़ दिया है.शाह महमूद कुरैशी इन दिनों कई देशों खासकर अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों का दौरा कर रहे हैं.
मकसद सीधा सा है तालिबान की सरकार को दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देशों से मान्यता दिलाकर पाकिस्तान की ताकत बढ़ाना. तालिबान को लेकर पाकिस्तान की हड़बड़ी साफतौर पर देखी भी जा सकती है. इससे साफ होता है कि तालिबान से पाकिस्तान के कितने निकट के रिश्ते हैं.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री कई देशों के चक्कर लगा रहे हैं. शाह महमूद कुरैशी ने हाल ही में तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान का दौरा किया. हालांकि इन सभी देशों ने पाकिस्तान को कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. सभी तेल देख रहे हैं, तेल की धार देख रहे हैं.
यहां तक तालिबान को मान्यता दिलाने की कोशिश में देश-देश घूम रहे पाकिस्तान ने खुद भी तालिबान को पाकिस्तानी मान्यता की स्पष्ट घोषणा नहीं की है. गौरतलब है कि आतंकवाद को लेकर दुनियाभर में बनी एक राय का डर भी पाकिस्तान को सता रहा है.
दरअसल पाकिस्तान अभी भी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है. जिसकी पाकिस्तान का विपक्ष लगातार आलोचना भी कर रहा है. असल में पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में डाला ही आतंकियों की मदद करने की वजह से है.
पाक मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार तालिबान के पक्ष में जमकर लॉबिंग कर रही है ताकि दुनिया के सभी न सही, कम से कम कुछ अहम देशों से तो तालिबान को मान्यता दिलाई जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक, कुरैशी और पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय जल्द ही कुछ और देशों से संपर्क का बड़ा प्लान बना रहा है.
इनमें यूरोपियन यूनियन के कुछ देश भी शामिल हो सकते हैं.सालों से हाशिए पर चल रहे पाकिस्तान में तालिबान ने नई एनर्जी जरूर भर दी है. फिर भी पाकिस्तान भारत से तालिबान को लेकर कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.
लेकिन भारत जरूर अपने तजुर्बे से तालिबान को परख रहा है कि वो कितना बदला है, या फिर कथित नया तालिबान दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए ही बनाया गया है. भारत पूरी तरह से सतर्क है.
भारत 2019 में ही UN असेंबली में स्पष्ट कह चुका है कि हमने अतीत में पाकिस्तान को आतंकवाद को मुख्यधारा में लाते हुए देखा है, अब पाकिस्तान नफरत भरे बयानों को मुख्यधारा में लाना चाहता है. पाकिस्तान अपना स्तर गिरा सकता है लेकिन इससे भारत का स्तर ऊंचा ही होगा.