मलाला यूसुफजई करीब छह साल बाद सुबह तड़के अपने वतन लौटीं। ऐसा कहा जा रहा है कि वे 2 अप्रैल तक यहां रहेंगी। 20 साल की मलाला को 2012 में तालिबान ने लड़कियों के शिक्षा के अधिकार की पैरवी करने के विरोध में सिर में गोली मार दी थी। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए लंदन ले जाया गया। तब वे वहीं रह रही हैं।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मलाला को देर रात करीब 1:41 बजे बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पर देखा गया। ऐसा कहा जा रहा है कि वे एमीरात EK-614 की फ्लाइट से दुबई होते हुए इस्लामाबाद पहुंचीं।उनके यहां पहुंचने की जानकारी को सुरक्षा कारणों की वजह से बेहद गोपनीय रखा गया।
मलाला अपने पाकिस्तान दौरे के दौरान कई प्रोग्राम्स में हिस्सा लेंगी। वह मीट द मलाला प्रोग्राम में भी हिस्सा लेंगी। वे प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी से भी मुलाकात कर सकती हैं।मलाला पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा की रहने वाली हैं।
11 साल उम्र से ही गुल मकई नाम की अपनी डायरी के जरिए मलाला ने तालिबान के खिलाफ अपना अभियान शुरू कर दिया था। उन्हें तालिबान का आतंक और खासकर महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध नापसंद था।मलाला ने तालिबान के स्कूल न जाने फरमान के बावजूद लड़कियों को शिक्षित करने का अभियान जारी रखा।अक्टूबर 2012 में स्कूल से लौटते वक्त मलाला पर आतंकियों ने हमला किया।
उन्हें सिर्फ में गोली मारी गई।पहले उन्हें इलाज के लिए पेशावर और फिर लंदन ले जाया गया। उनका इलाज ब्रिटिश सिट बर्मिंघम में किया गया था, जहां उन्होंने अपनी स्कूलिंग पूरी की।मलाला को उनकी इस बहादुरी के लिए दुनियाभर में सम्मानित भी किया गया। 2014 में उन्हें नोबेल का शांति पुरस्कार भी मिला।