इमरान खान बने पाकिस्तान के 22 वें प्रधानमंत्री

इमरान खान पाकिस्तान के 22 वें प्रधानमंत्री बन गए। उन्हें राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने शपथ दिलाई। इमरान को शपथ के वक्त ऊर्दू के कुछ शब्द बोलने में दिक्कत आई। वे पांच बार अटके। इस समारोह में नवजोत सिंह सिद्धू और इमरान की तीसरी पत्नी बुशरा भी मौजूद रहीं। इससे पहले इमरान ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया था।

इमरान ने चुनाव के दौरान नया पाकिस्तान का नारा दिया था, लेकिन बेरोजगारी, गरीबी और कमजोर अर्थव्यवस्था उनके लिए बड़ी चुनौतियां हैं। देश के हालात ऐसे हैं कि उन्हें पद संभालते ही 25 अरब डॉलर (करीब 1 लाख 74 हजार करोड़ रुपए) के कर्ज की जरूरत है।

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को चार अरब डॉलर का कर्ज देने के लिए सऊदी समर्थित इस्लामिक बैंक तैयार है। इमरान सभी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इमरान के शपथ लेते ही इस्लामिक बैंक रकम ट्रांसफर कर देगा। वहीं, पाकिस्तान के सम्भावित वित्त मंत्री असद उमर भी कह चुके हैं देश के हालात काफी खराब हैं।

केंद्रीय बैंक के पास महज 10 अरब डॉलर (करीब 70 हजार करोड़ रुपए) हैं। उम्मीद है कि कम वक्त के लिए हमें कहीं से भी 8-9 अरब डॉलर का कर्ज मिल जाएगा। हालांकि, इसके बाद भी हमारी जरूरतें पूरी होना नामुमकिन है।पाकिस्तान के अधिकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 12 अरब डॉलर (करीब 83 हजार करोड़) की मदद लेने की योजना बना रहे हैं।

हालांकि, यह कदम आसान नहीं है। ट्रम्प प्रशासन ने आईएमएफ को चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को अगर राहत पैकेज दिया जाता है तो ध्यान रखा जाए कि उसका इस्तेमाल चीन से लिए कर्ज को चुकाने में न हो।  अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि चीन विकासशील देशों को जमकर उधार दे रहा है, ताकि उनकी नीतियों पर नियंत्रण कर सके।

पाकिस्तान 1980 से अब तक आईएमएफ से 12 बार मदद ले चुका है।इमरान के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही पाकिस्तान – चीन के साथ व्यापारिक असंतुलन से जूझ रहा है। देश के व्यापारिक घाटे में चीन की भूमिका सबसे ज्यादा है। यहां आयात लगातार बढ़ रहा है, जो पिछले वित्तीय वर्ष तक 60.898 अरब डॉलर पहुंच गया।

इसके विपरीत निर्यात काफी कम है। इमरान को इस मुसीबत से भी निपटना होगा। वहीं, चीन यहां चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है, जिसके लिए उसने पाकिस्तान को काफी कर्ज भी दिया है। ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ है।25 जुलाई को आम चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सबसे बड़ी पार्टी बनते ही इमरान ने सांसदों से फिजूलखर्ची न करने की अपील की थी।

इमरान ने कहा था हम प्रधानमंत्री आवास का क्या करेंगे? इस राजसी घर में रहने से मुझे शर्म महसूस होगी, इसलिए इस बंगले को एजुकेशनल इंस्टिट्यूट या लोगों के कल्याण के लिए किसी संस्था में तब्दील कर दिया जाएगा। हालांकि कुछ दिन बाद उन्होंने सरकारी बंगले में ही रहने की बात कही। विश्लेषकों का मानना है कि फिजूलखर्ची पर रोक लगाने का इमरान का कदम काबिल-ए-तारीफ था, लेकिन अब उन्होंने ही बंगले की मांग कर दी।

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