आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष और बढ़ गया. दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर नागोर्नो-करबख के अलगाववादी क्षेत्र पर नए हमलों के आरोप लगाए हैं. रूस द्वारा कराई गई युद्ध विराम संधि का कोई असर नहीं दिख रहा है, लड़ाई तीसरे सप्ताह भी जारी है. इस बीच तेल और गैस पाइप लाइन को निशाना बनाए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही हैं, अगर ऐसा हुआ तो तबाही मच सकती है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने तुर्की समकक्ष रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ फोन पर बातचीत की है. उन्होंने इस दौरान शनिवार को हुई युद्ध विराम संधि का तुरंत उल्लंघन करने की बजाय इसका पालन कराने के लिए कोशिश करने की अपील की.
पुतिन ने मध्य पूर्व के आतंकवादियों के संघर्ष में शामिल होने पर भी चिंता जताई. वहीं तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने इस क्षेत्र में लड़ाकों की तैनाती से इनकार किया, लेकिन सीरिया स्थित विपक्षी कार्यकर्ताओं ने पुष्टि की है कि तुर्की ने नागोर्नो-करबख में सैकड़ों लड़ाकों को भेजा है.
दिनों दिन तेज होते जा रहे संघर्ष के बीच अजरबैजान की सेना ने दावा किया है उसने आर्मेनिया के क्षेत्र में एक अर्मेनियाई मिसाइल प्रणाली को नष्ट कर दिया है जोकि नागरिक क्षेत्रों में गिराने की तैयारी थी. दूसरी तरफ आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह अजरबैजानी सैन्य टुकड़ियों को निशाना बनाने के लिए थी.
अब तक, आर्मेनिया और अजरबैजान ने नागोर्नो-करबख पर छिड़ी लड़ाई में एक-दूसरे के क्षेत्र को लक्षित करने से इनकार किया है. लेकिन हालात ऐसे बन रहे हैं कि इन दोनों देशों के बीच की शत्रुता और खतरनाक हो सकती है.
आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने अजरबैजान पर आरोप लगाया है कि वह उनके क्षेत्र में सैन्य आक्रमण कर रहा है. इसके अलावा आर्मेनिया ने अजरबैजान को राजनीतिक परिणामों की भी चेतावनी दी है. दोनों तरफ से लग रहे आपसी आरोपों और धमकियों ने सामरिक सुरक्षा के बारे में चिंता पैदा कर दी है.
अजरबैजान के कैस्पियन सागर से कच्चे तेल को तुर्की और पश्चिमी बाजारों में ले जाने वाली पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त करने की चिंता बढ़ गई है. अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आर्मोनिया को उसकी गैस, ऑयल पाइप लाइन को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में भारी कीमत चुकाने की धमकी दी है.
दूसरी तरफ नागोर्नो-करबख के अधिकारियों ने अजरबैजान पर इस क्षेत्र के एक अस्पताल में गोलीबारी करने का आरोप लगाया और इसे एक युद्ध अपराध कहा है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कोई हताहत हुआ है या नहीं. वहीं अजरबैजान की सेना ने अर्मेनियाई दावे को खारिज कर दिया है.
बता दें कि अर्मेनियाई और अजरबैजानी बलों के बीच 27 सितंबर को यह युद्ध शुरू हुआ. यह बीती चार सदी का सबसे बड़ा संघर्ष है. शांति के लिए कई प्रयासों के बावजूद दोनों देश रुक नहीं रहे हैं. रूस ने शनिवार को संघर्ष विराम समझौता कराया लेकिन करीब 10 घंटे से अधिक की वार्ता फेल हो गई. कुछ ही मिनटों में दोनों देश फिर से भिड़ गए और ये लड़ाई अभी भी जारी है.