गूगल पर यूरोपीय संघ ने 34 हजार करोड़ रु का रिकॉर्ड जुर्माना लगाया

गूगल पर यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने करीब 34,000 करोड़ रुपए (5 अरब डॉलर) का रिकॉर्ड जुर्माना लगाया। यूरोपियन यूनियन की ओर से यह गूगल पर अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है। तीन साल जांच के बाद ईयू ने गूगल को प्रतिस्पर्धा के नियम तोड़ने का दोषी पाया। यूरोपीय संघ ने गूगल से कहा कि वह 90 दिन में अपने कारोबारी तरीकों में सुधार करे नहीं तो जुर्माना राशि और बढ़ाई जा सकती है।

जुर्माने की रकम 2017 में गूगल पर लगाए गए फाइन (19,000 करोड़ रुपए) से काफी ज्यादा है। उस वक्त शॉपिंग कंपेरिजन सर्विस के लिए पेनल्टी लगाई थी। यूरोपियन कमीशन को गूगल के सालाना टर्नओवर के 10% तक जुर्माने का अधिकार है।

ईयू की कंपीटीशन कमिश्नर मारग्रेथ वेस्टेगर ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को मंगलवार रात को ही फोन पर इस फैसले की जानकारी दे दी। गूगल ने कहा कि वो फैसले के खिलाफ अपील करेगा।यूरोपियन कंपीटीशन कमीशन का कहना है कि गूगल सर्च और कंपनी की दूसरी डिवाइस प्री-इन्स्टॉल करने वाली मोबाइल कंपनियों को गूगल पैसे देता है।

उसने एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्‍स पर एकाधिकार जमा रखा है। गूगल का सैमसंग जैसी बड़ी मोबाइल कंपनियों से करार है। इसके तहत इन कंपनियों के मोबाइल पर गूगल सर्च इंजन और गूगल क्रोम पहले से ही इंस्टॉल रहते हैं, जिससे दूसरी कंपनियों को मौका ही नहीं मिल पाता। कुछ ऐप्स डाउनलोड करने के लिए गूगल सर्च को डिफॉल्ट इंजन बनाने की शर्त भी थोपी जाती है।

एंड्रॉयड आधारित जो फोन निर्माता गूगल प्ले स्टोर इन्स्टॉल करना चाहते हैं, उन्हें मजबूरन गूगल के दूसरे ऐप भी इंस्टॉल करने पड़ते हैं। गूगल इसे बंडल्ड सर्विस के तौर पर देती है। इनमें सर्च, वेब ब्राउज़र, ईमेल और गूगल मैप शामिल हैं।गूगल पर ये भी आरोप है कि वह मोबाइल कंपनियों को दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले फोन बनाने से रोकती है।

अप्रैल में यूरोपीय संघ ने इसकी शिकायत दर्ज की थी।रूस में भी गूगल पर ऐसा आरोप लगा था। वहां भी कंपनी को जुर्माना देना पड़ा। वहां रेगुलेटर के कहने पर एंड्रॉयड फोन में रूसी सर्च इंजन यांडेक्स इन्स्टॉल किया जाने लगा तो गूगल का मार्केट शेयर 63% से घटकर 52% रह गया।

Check Also

हड़ताल के कारण फ्रांस की सबसे बड़ी रिफाइनरी हुई बंद

फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय ऊर्जा और पेट्रोलियम कंपनी टोटल एनर्जी ने कर्मचारियों के वेतन मांगों पर हड़ताल …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *