यूनान में बैंकों और एटीएम मशीनों को बंद कर दिया गया है.ऋण के पुनभरुगतान के लिए 48 घंटे से भी कम समय बचे होने और इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पाने से उसके दिवालिया होने की आशंका बढ रही है और उसके यूरोपीय जोन से भी बाहर होने का खतरा मडराने लगा है.यूनान के प्रधानमंत्री एलेक्सी सिप्रास ने यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) से आपात कोष नहीं मिलने पर पूँजी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बैंकों और एटीएम को बंद करने का निर्णय लिया है.यूनान के पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 1.6 अरब यूरो (1.77 अरब डॉलर) ऋण चुकाने के लिए अब 48 घंटे से भी कम समय बचा है. कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में यूनान पर दिवालिया होने के साथ ही यूरोजोन से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है. इसके अलावा उसे आने वाले महीनों में ईसीबी को अरबों यूरो के कर्ज का पुनभरुगतान भी करना है.
यूनान सरकार के इस संकट के समाधान का एक और प्रयास शनिवार को विफल होने के बाद धन निकासी पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत बैंकों और शेयर बाजार में कारोबार को बंद कर दिया गया है लेकिन मंगलवार से इन्हें प्रतिदिन अधिकतम 60 यूरो निकासी की शर्त्त पर दोबारा खोले जाने की उम्मीद है. इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक असर पड़ने की आशंका है.श्री सिप्रास ने कहा, ‘‘हमलोग इस समस्या का समाधान ढूँढने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं और शीघ इस संकट से उबर जाएंगे. मैं वादा करता हूँ कि देश के नागरिकों के बैंक में जमा धन और सुरक्षित हैं और उनके वेतन का नियमित भुगतान किया जाएगा.’’
शनिवार को कर्जदाताओं के साथ वार्ता के विफल रहने और बेलआउट पैकेज पर जनमतसंग्रह कराने की माँग खारिज होने के बाद श्री सिप्रास पर उसके यूरोपीय सहयोगी देशों ने व्यय को सीमित नहीं रखने का आरोप लगाया. कर्जदाताओं ने यूनान को इस संकट से बाहर निकलने के लिए पेंशन में कटौती और कर में बढ़ोतरी करने के सुझाव पर श्री सिप्रास ने कहा कि एक तिहाई बेरोजगार लोगों वाला देश सबसे बड़े आर्थिक संकट में फँस सकता है.श्री सिप्रास ने जनमतसंग्रह का प्रस्ताव पर पाँच जुलाई को होने वाले मतदान तक यूनान के मौजूदा बेलआउट पैकेज की समय-सीमा बढ़ाने की माँग की है. हालाँकि यूरोप और अमेरिका के अधिकारी इस आर्थिक संकट का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जर्मनी की चांसलर और अमेरिका के वित्तमंत्री जैक लीव सहित अन्य अधिकारियों से कहा है कि वे यूरोप और आईएमएफ से एक समान मुद्रा को परिचालन में लाने की नीति बनाने के लिए कहें ताकि यूनान को यूरोक्षेा में बनाये रखा जा सके. जर्मनी और फ्रांस की सरकार ने इसके लिए आपात बैठक बुलाई है.फ्रांस के प्रधानमंत्री मैनुअल वॉल्स ने यूनान के प्रधानमंत्री को इस संकट का समाधान ढूँढने के उद्देश्य से एक बार फिर बातचीत के लिए बुलाया है.हालाँकि अभी तक इस संकट का असर सीमित रहने के बावजूद एशियाई देशों की सरकार इस मामले में हो रही प्रगति पर गहरी नजर लगाए हुए हैं. कोरियाई वित्त मांलय और केंद्रीय बैंक के बीच ने बाजार की प्रतिक्रिया पर चर्चा के लिए आज बैठक चल रही है.