मलाला यूसुफजई के हमलावरों को पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से आजाद कर दिया है। 25-25 साल की सजा पाने वाले 10 में से आठ दोषी जेल से बाहर हैं। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले की आतंकनिरोधी अदालत ने इसी साल 30 अप्रैल को इनलोगों को सजा सुनाई थी। लेकिन, इसके सप्ताह भर बाद ही दस में आठ दोषी जेल से रिहा कर दिए गए। इनमें से एक हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। अब सिर्फ दो ही अपनी सजा काट रहे हैं। ऐसे हुआ खुलासा डेली मिरर ने ये लोग किस जेल में सजा काट रहे इसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। पता चला कि 10 में से केवल दो ही जेल में हैं। अन्य आठ अब कहां हैं इसकी खबर किसी को नहीं है।
नापाक सफाई यह खबर सामने आने के बाद पाकिस्तान भ्रम के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहा है। लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रवक्ता मुनीर अहमद ने बीबीसी को बताया कि वास्तव में दो लोगों को ही सजा सुनाई गई थी। जिन आठ लोगों को रिहा किया गया है उनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं थे। स्वात जिले के पुलिस प्रमुख सलीम मारवत भी दो को ही दोषी ठहराए जाने की बात कह रहे हैं। गुपचुप सुनवाई पर भी सवाल इस घटना से पाकिस्तान की आतंकरोधी अदालतों में सुनवाई पर भी सवाल उठने लगे हैं। इन अदालतों में सुनवाई काफी गोपनीय तरीके से की जाती है।
सूत्रों के अनुसार बंद कमरों में होने वाली सुनवाई के दौरान न तो कोई गवाह था और न ही विरोध करने वाला। सिर्फ जज और सरकारी वकील की मौजूदगी में सब कुछ हुआ। इसके अलावा अधिकारियों ने भी कभी यह भी नहीं बताया कि ये 10 लोग कब और कहां से पकड़े गए थे। हमले से ये किस तरह जुड़े थे और इनके खिलाफ किन धाराओं में आरोप लगाए गए थे।
एक नजर 9 अक्टूबर 2012 : तालिबानी आतंकियों ने स्वात जिले के मिंगोरा में मलाला के सिर में गोली मार दी। 10 अक्टूबर 2014 : मलाला को सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। 30 अप्रैल 2015 : सरकारी वकील सैय्यद नईम ने 10 लोगों को आतंकरोधी अदालत द्वारा दोषी करार और 25-25 साल की सजा सुनाए जाने की जानकारी दी।