अमेरिकी विदेश मंत्री से मिले किम जोंग के करीबी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच 12 जून को होने वाली मुलाकात के लिए दोनों देशों की तरफ से कोशिशें जारी हैं। इसी सिलसिले में किम के करीबी जनरल किम योंग चोल ने अमेरिका में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात की। बुधवार को पहली मुलाकात के बाद गुरुवार को दोनों एक बार फिर सिंगापुर में ट्रम्प-किम जोंग के बीच प्रस्तावित मीटिंग को लेकर चर्चा करेंगे।

इसी बीच गुरुवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी प्योंग्यांग पहुंचकर किम जोंग-उन से मुलाकात की। लावरोव ने तानाशाह को रूस आने का भी न्योता दिया। इसे रूस के बड़े कूटनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।

विदेशी मामलों के जानकार रहीस सिंह से अमेरिका-नॉर्थ कोरिया के करीब आने की कोशिशों के बीच रूस के दखल के मायने पूछे? सिंह ने कहा रूस का झुकाव हमेशा से ही लेफ्ट देशों की तरफ रहा है। विश्व युद्ध के बाद उत्तर कोरिया के निर्माण में भी सोवियत संघ का ही हाथ था। रूस के अलावा चीन भी उत्तर कोरिया का बड़ा समर्थक माना जाता है।

अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद चीन उत्तर कोरिया को सु‌विधाएं मुहैया करा रहा है। ऐसे में रूस और चीन जो कि पहले से ही पुराने दोस्त हैं इस मुद्दे पर उत्तर कोरिया के साथ लामबंद है।सिंह के मुताबिक चीन और रूस दो ऐसे देश हैं जो अमेरिका के लिए चुनौती खड़ी करते आए हैं। ये दोनों ही देश एशिया-पैसिफिक में बड़ी ताकत हैं।

ऐसे में रूस और चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहते हैं, ताकि दुनिया में शक्ति संतुलन बनाए रख सकें। रूस पहले भी उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है।सिंह ने कहा उत्तर कोरिया मामले पर रूस-चीन और अमेरिका के बीच एक होड़ है। चीन और रूस कभी स्वतंत्र रूप से उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच बातचीत नहीं चाहेंगे।

उधर उत्तर कोरिया भी जानता है कि ट्रम्प से समझौता नहीं हो पाने पर उसे अपने पुराने सहयोगियों के साथ की जरूरत होगी। इसी को देखते हुए उत्तर कोरिया दोनों देशों (चीन और रूस) के साथ संबंध बरकरार रखना चाहेगा। यही वजह है कि जहां एक तरफ उत्तर कोरिया का एक बड़ा अधिकारी अमेरिका दौरे पर है, वहीं रूस के विदेश मंत्री उत्तर कोरिया में है।

रूस के विदेश मंत्री ने गुरुवार को उत्तर कोरिया पहुंचने के बाद अपने समकक्ष रि योग हो से मुलाकात की। इसके अलावा वे असेंबली बिल्डिंग में भी कई नेताओं से मिले।तानाशाह किम जोंग-उन से मिलने के बाद लावरोव ने उन्हें रूस आने का निमंत्रण दिया। लावरोव ने कहा कि मॉस्को कोरियाई प्रायाद्वीप में शांति चाहता है।

उत्तर कोरिया के उप-विदेश मंत्री चोइ सोन-हुई दक्षिण कोरिया से सटे बॉर्डर पर स्थित दक्षिण कोरिया के अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। दोनों ही कोरियाई पेनिंसुला को परमाणु हथियारों से मुक्त करने पर बातचीत जारी है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसी महीने की शुरूआत में किम जोंग से सिंगापुर में 12 जून को मिलने का ऐलान किया था।

इसके बाद माइक पोम्पियो मुलाकात की तैयारियों के लिए दो बार प्योंग्यांग गए थे।हालांकि, बीते हफ्ते ट्रम्प ने एक पत्र जारी कर समिट को रद्द कर दिया। उन्होंने इसके पीछे उत्तर कोरिया के भड़काऊ बयानों का जिक्र किया था।ट्रम्प के इस फैसले पर उत्तर कोरिया ने दुख जताया था।

उप विदेश मंत्री ने कहा था कि वे किसी भी हालत में दोनों देशों की मुलाकात कराना चाहते हैं।उत्तर कोरिया के इसी व्यवहार पर ट्रम्प ने एक बार फिर 12 जून के लिए प्रस्तावित मुलाकात के लिए हामी भरी थी। हालांकि, उन्होंने तारीख आगे बढ़ाए जाने की आशंका भी जताई थी।

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