ईरान के संसदीय चुनाव नतीजों में किसी को बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा है। शुरुआती रुझानों में कट्टरपंथियों, सुधारवादियों और निर्दलीयों के बीच सीटों का बंटवारा हुआ है। ईरान में 290 सदस्यीय मजलिस या पार्लियामेंट और 88 सदस्यीय विशेषज्ञों की एसेंबली के लिए शुक्रवार को 60 फीसदी लोगों ने मतदान किया था। अंतिम नतीजे आने में कुछ दिन लग सकते हैं।
शुरुआती तौर पर 27 क्षेत्रों के नतीजों में 8 कट्टरपंथियों, 4 सुधारवादियों और 8 निर्दलीयों को जीत मिली है। बाकी 7 में किसी भी उम्मीदवार को 25 फीसदी वोट भी न मिलने के कारण दूसरे दौर का मतदान होगा।ईरान के ऐतिहासिक परमाणु समझौते के बाद हो रहे चुनाव को राष्ट्रपति हसन रूहानी की नीतियों पर जनमत संग्रह माना जा रहा है।
गैर सरकारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनावों में कट्टरपंथी अपनी मजबूत जमीन खो चुके हैं।निर्दलीयों की बढ़ती संख्या भी सुधारवादियों के पक्ष में मानी जा रही है।लोकतांत्रिक परिवर्तन और पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंधों के हिमायती सुधारवादी चुनावों में यदि सफल रहते हैं तो 2004 के बाद से 290 सदस्यीय संसद में इस बार इनकी स्थिति सबसे मजबूत होगी।