Ab Bolega India!

स्वीडन सरकार ने Huwaei कंपनी पर लगाया बैन

स्वीडन ने चीन को आर्थिक चोट पहुंचाते हुए साफ कर दिया है कि 5G नेटवर्क तैयार करने के लिए वो चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट नहीं देगा. चीन की कंपनी Huwaei इस दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही थी. बीजिंग Huwaei के दम पर दुनियाभर के टेलीकॉम सेक्टर में दबदबा बनाने की कोशिशों में जुटा है.

लेकिन भारत सहित कई देशों को अब ये समझ आ गया है कि चीनी कंपनियों के साथ समझौता हर लिहाज से खतरनाक है. इसलिए एक के बाद एक देश उसे झटका देते जा रहे हैं.  स्वीडन ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उसके पास जरूरी सुविधाएं और इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है.

लिहाजा, वो चीनी कंपनी Huwaei को ठेका देने के बजाए अब 5G नेटवर्क खुद तैयार करेगा. स्वीडन से पहले ब्रिटेन, कनाडा सहित कुछ और देश भी Huwaei को कॉन्ट्रैक्ट देने से इनकार कर चुके हैं.

वहीं, कुछ समय पहले अमेरिका (America) ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया था कि चीन को किसी भी कीमत पर 5G नेटवर्क स्थापित करने की योजना में शामिल न करें. स्वीडन सरकार ने Huwaei पर बैन का निर्णय पहले ही कर लिया था, जिसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने भी बैन के पक्ष में फैसला सुनाया.

अब सरकार ने इसी बात को आधार बनाकर अपने कदम आगे बढ़ाए हैं. इस बीच चीन (China) की तरफ से स्वीडन को मानाने की भरपूर कोशिश की गई, मगर सफल नहीं हो सका. कोर्ट और सरकार के फैसले पर दुःख व्यक्त करते हुए स्वीडन में चीन के राजदूत गुई गोंग्यू ने कहा कि स्वीडन को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.

इस तरह चीन की कंपनियों से भेदभाव नहीं किया जा सकता. खास बात यह है कि स्वीडन ने चीनी कंपनी पर बैन लगाने से पहले जनता की राय मांगी.  स्वीडन ने एक सर्वे कराया, जिसमें एक सवाल 5G नेटवर्क का कॉन्ट्रैक्ट Huwaei को देने से भी जुड़ा था. लगभग 82% स्वीडिश नागरिकों ने चीनी कंपनी को ठेका नहीं दिए जाने की बात कही.

उन्होंने कहा कि चीन में लोकतंत्र नहीं है और वहां मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी सामने आते हैं. लिहाजा, Huwaei को यह कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया जाना चाहिए. उधर, स्वीडन की टेलीकॉम अथॉरिटी ने एक बयान में कहा है कि अदालत ने भी सुरक्षा के आधार पर Huwaei और ZTE को कॉन्ट्रैक्ट न देने के आदेश दिए हैं.

Exit mobile version