सुषमा ने लंकन पीएम विक्रमसिंघे के साथ की वार्ता

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सुषमा स्वराज ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की जिन्होंने अपने यहां भारतीय निवेश की मांग की और एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने में साझेदारी की पेशकश की। साथ ही, उन्होंने देश के ताजा घटनाक्रमों से सुषमा को अवगत भी कराया। दूसरी बार यहां की यात्रा पर आई स्वराज ने प्रधानमंत्री कार्यालय ‘टेम्पल ट्री’ में विक्रमसिंघे के साथ वार्ता की और दोनों नेताओं ने अपने विचारों का सार्थक आदान प्रदान किया। अधिकारियों ने बताया कि अपनी 50 मिनट की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने श्रीलंका में भारतीय निवेश की मांग की और त्रिंकोमाली में एक सेज स्थापित करने में साझेदारी का प्रस्ताव दिया।

उन्होंने बताया, ‘उनकी वार्ता भारत-श्रीलंका संयुक्त आयोग बैठक पर चर्चा के साथ शुरू हुई और प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए यह एक बहुत अहम मंच है।’ विक्रमसिंघे ने संयुक्त आयोग की बैठक को एक सालाना कार्यक्रम बनाने का भी प्रस्ताव किया। दोनों नेताओं ने सरकारी विश्वविद्यालयों के बीच संपर्क के बारे में भी बात की।

द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों के हल के लिए एक तंत्र के रूप में 1992 में संयुक्त आयोग का गठन किया गया था। संयुक्त आयोग की आखिरी बैठक जनवरी 2013 में नयी दिल्ली में हुई थी। विक्रमसिंघे ने स्वराज को श्रीलंका के ताजा घटनाक्रमों की जानकारी दी। श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि उनकी सरकार एक नये संविधान के तहत सत्ता का विकेंद्रीकरण करने के लिए अल्पसंख्यक तमिलों सत्ता देने को तैयार है। इसका लक्ष्य जातीय संघर्ष का हल करना और तमिलों के साथ सुलह करना है।

दो दिनों की यात्रा पर यहां पहुंची स्वराज की अगवानी उनके श्रीलंकाई समकक्ष मंगला समरवीरा ने हवाईअड्डे पर की। दोनों नेता द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए आज नौवें संयुक्त आयोग की बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे।

वार्ता में आर्थिक सहयोग, व्यापार, बिजली और उर्जा, तकनीकी और समुद्री सहयोग, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक विषय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रक्षा सहयोग, स्वास्थ्य, नागरिक विमानन, पर्यटन और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क शामिल रहेगा। संयुक्त आयोग की बैठक में मछुआरों का मुद्दा उठने की संभावना है। मछुआरा मुद्दा दोनों देशों के बीच संबंध में एक बड़ा अवरोधक बना हुआ है।

श्रीलंका भारतीय मछुआरों पर भटक कर अपने जल क्षेत्र में आने का आरोप लगता है जबकि भारत का कहना है कि वे सिर्फ अपने पारंपरिक क्षेत्रों में मछली पकड़ रहे हैं, खासतौर पर कच्चातीवु के आस पास जिस द्वीप को 1974 में कोलंबो को दे दिया गया था।

स्वराज राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा के अलावा शीर्ष नेताओं के साथ भी बैठक करेंगी। पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान पिछले कुछ बरसों में भारत-श्रीलंका संबंध प्रभावित हुए थे। 

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