आज पीएम नरेंद्र मोदी तीन दिन के श्रीलंका दौरे पर रवाना हो रहे है। सरकार का कहना है कि पीएम के इस दौरे में कोई फॉर्मल बातचीत नहीं होगी। कोई समझौता नहीं होगा। लेकिन विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने कहा कि मैत्रीपाला सिरिसेना के प्रेसिडेंट बनने के बाद भारत-श्रीलंका में नजदीकियां बढ़ी हैं। इस दौरे से इन रिश्तों में और मजबूती आएगी, जो स्ट्रैटजिकली कई मायनों में अहम साबित होगी।
बौद्ध कैलेंडर के सबसे खास दिन वेसक दिवस में शामिल होने जा रहे हैं। इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ। वेसक दिवस के समापन पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन होगा, जिसमें 100 से ज्यादा देशों के 400 डेलिगेट्स हिस्सा लेंगे। मोदी श्रीलंका के सेंट्रल प्रोविंस कैंडी भी जाएंगे, जो सीलोन चाय के प्रोडक्शन के लिए मशहूर है।
इस दौरे पर कोई फॉर्मल बातचीत या समझौता नहीं होगा, लेकिन विदेश मंत्रालय का कहना है कि मोदी वहां के नेताओं से बातचीत करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के रिश्तों का रिव्यू होगा।चीन सैन्य रूप से अहम माने जाने वाले श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है। उसकी एक कंपनी इसे 99 साल की लीज पर भी लेना चाहती है। यह भारत के लिए चिंता की बात है।
महिंदा राजपक्षे जब श्रीलंका के प्रेसिडेंट थे तब चीन को भरपूर तवज्जो दी गई। मैत्रीपाला सिरिसेना के प्रेसिडेंट बनने के बाद इसमें कुछ कमी आई, जो फिर एकबार बढ़ती नजर आ रही है। ऐसे में मोदी का यह दौरा श्रीलंका में चीन के बढ़ते असर को कम करने के लिहाज से अहम माना जा सकता है।
श्रीलंका में भारत विरोधी लहर का फायदा उठाने से पाकिस्तान भी नहीं चूकता। वह मुस्लिमों और सिंघलियों को हिंदू विरोधी भावना से भड़काने में लगा रहता है। 2007-08 में तो उसने इस मकसद से एक अफसर को श्रीलंका भेजा था।श्रीलंका ने अपने कॉन्स्टीट्यूशन में 15वें अमेंडमेंट के जरिए जाफान में तमिलों को इंटरनल ऑटोनोमी देने का काफी पहले एलान किया था, लेकिन अब तक नहीं किया है।
मोदी के इस दौरे से अटकी हुई वह बात आगे बढ़ने की गुंजाइश है। भारत चाहता है कि ब्रदरहुड से पेश आकर तमिलों को उनके अधिकार दिलाए।बतौर पीएम मोदी का यह दूसरा श्रीलंका दौरा होगा। इससे पहले वो मार्च 2015 में श्रीलंका गए थे। दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को मजबूती देने के लिए एक समझौता भी हुआ था।
उस वक्त 27 साल बाद किसी भारतीय पीएम का श्रीलंका दौरा हुआ था।भारत-श्रीलंका के बीच ट्रिंकोमाली पोर्ट पर तेल भंडार को मिलकर ऑपरेट करने का समझौता हुआ है। अपोजिशन इसके खिलाफ है। ऐसे में अपोजिशन के नेता और पूर्व प्रेसिडेंट महेंदा राजपक्षे के सपोर्टर्स ने मोदी को काले झंडे दिखने का एलान किया है।