Ab Bolega India!

पीएम मोदी ही ख़त्म करा सकते है इजरायल से फिलीस्तीन का झगड़ा

फिलीस्तीन के प्रधानमंत्री डॉ. रामी हमदल्लाह ने नरेंद्र मोदी को वर्ल्ड लीडर बताया। पीएम मोदी 9 फरवरी को फिलीस्तीन जाएंगे। किसी भी भारतीय पीएम का यह पहला दौरा होगा। इससे पहले बातचीत में डॉ. हमदल्लाह ने कहा कि मोदी पश्चिम एशिया के नेताओं के बीच अपने अच्छे रसूख के बल पर इजरायल के साथ उनका झगड़ा खत्म करने में अहम रोल निभा सकते हैं।

दावोस में मोदी ने क्लाइमेट चेंज और आर्थिक सहयोग को लेकर जॉइंट ग्लोबल एक्शन का आह्वान किया था। हम इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि हम जैसे विकासशील देशों के लिए भारत का आर्थिक और राजनीतिक ताकत के तौर पर उदय होना अच्छी बात है।

साथ ही फिलीस्तीनी पीएम ने माना कि पाकिस्तान की रैली में आतंकी हाफिज सईद के साथ उनके एम्बेसडर का मंच साझा करना गैर-इरादतन भूल थी। इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता।फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार और स्वाधीनता का आदर करते हुए शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए फौरन अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की जरूरत है।

भारत इसमें भूमिका निभा सकता है। हमारा विश्वास है कि कब्जा बरकरार रहने तक शांति नहीं आ सकती।यह यात्रा भारत-फिलीस्तीन के बीच मजबूत रिश्तों का संकेत है। 15 नवंबर, 1988 को आजादी के एलान के बाद फिलीस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में भारत शामिल था। भारत और फिलीस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के बीच संबंध 1974 में कायम हुए।

पीएलओ ने 1975 में दफ्तर खोला और दोनों देशों के बीच 1980 में राजनयिक रिश्ते स्थापित हो गए। भारत ने 1996 में फिलिस्तीनी नेशनल अथॉरिटी में आॅफिस खोला। उम्मीद है कि मोदी की यात्रा से कारोबार, संस्कृति, टेक्नोलॉजी और इन्फॉर्मेशन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा।

हर फिलिस्तीनी महात्मा गांधी का प्रशंसक है। मुझे उनके बुद्धिमत्तापूर्ण व शाश्वत शब्द याद आते हैं- आंख के बदले आंख निकालने से दुनिया अंधी हो जाएगी’। उनकी यूनिवर्सल टीचिंग्स प्रेरणादायक रही है। क्योंकि हम अपनी धरती से इजरायली कब्जे खत्म कर लोकतांत्रिक राष्ट्र कायम करने के लिए संघर्षरत हैं।

फिलिस्तीन 2012 में संयुक्त राष्ट्र का नॉन-मेंबर स्टेट बना। भारत ने पक्ष में वोट दिया। यूएन मुख्यालय पर फिलीस्तीनी ध्वज का भी समर्थन किया। इन समर्थनों के लिए भारत का आभार।इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया था। हमने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम भारत के साथ हैं।

हमारे राजदूत का उस मास रैली में हिस्सा लेना गैर-इरादतन भूल थी। इसे जायज नहीं ठहरा सकते। यह बात हमने साफ की थी। हमारे विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति अब्बास के सीधे निर्देश पर राजदूत को फौरन पाकिस्तान से वापस तलब किया था। मुझे यकीन है कि इस घटना से हमारे दशकों पुराने रिश्तों पर आंच नहीं आएगी।

हम हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ हैं। हमारे 84 देशों के साथ सुरक्षा समझौते हैं।वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी हैं। मुझे यकीन है कि संयुक्त एक्शन और सहयोग से सभी देश आतंकवाद के खतरे और उसके प्रभावों से निजात पा लेंगे। हम सबको अमन से जीने का अधिकार है, जो भय और धमकियों से मुक्त हो।

भारत प्रमुख ग्लोबल और राजनीतिक ताकत है। हमारे क्षेत्र के देशों के साथ उसके शानदार रिश्ते हैं। भारत पश्चिम एशिया में शांति प्रक्रिया की प्रगति में धुरी की भूमिका निभा सकता है। हम रुकी हुई शांति प्रक्रिया को फिर से जीवित करने में किसी भी भारतीय भूमिका का स्वागत करेंगे।

Exit mobile version