रूस ने एक बार फिर सीरिया में आईएसआईएस के ठिकानों पर हमले शुरू कर दिए हैं। मंगलवार को रूस ने मैडेटेरियन सागर से इस्लामिक स्टेट के गढ़ रक्का को टारगेट कर एक बार फिर मिसाइल हमले किए हैं। फ्रांस और अमेरिकी सरकार के अफसरों ने क्रूज मिसाइल दागे जाने की पुष्टि की है। रॉयटर्स के मुताबिक, रूस ने सीरिया में सी लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल और लॉन्ग रेंज बॉम्बर्स से अटैक किया है। पेरिस अटैक के बाद फ्रांस ने ISIS हेडक्वार्टर्स रक्का में लगातार बम बरसा रहा है। बता दें कि मंगलवार को ही पुतिन ने माना था कि मिस्र में क्रैश हुआ रूसी प्लेन आतंकियों का निशाना बना था।
न्यूज एजेंसी एएफपी की खबर के मुताबिक, फ्रांस ने एक न्यूक्लियर पावर्ड एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज मेडिटैरियन सागर में भेजने का फैसला किया है। यह इसी हफ्ते सीरिया या लेबनान के नजदीक पहुंच सकता है। इसे आईएसआईएस पर हमले तेज करने के मकसद से भेजा जाएगा।पेरिस में बीते शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात मुंबई जैसे आतंकी हमलों में 128 लोगों की मौत हुई थी। आईएसआईएस ने इसकी जिम्मेदारी ली थी।
इसके बाद फ्रांस ने देशभर में सर्च ऑपरेशन चलाए हैं। 104 लोगों को हिरासत में लिया गया है। बेल्जियम में रहने वाले अब्देलहामिद अबऔद की पहचान पेरिस हमले के मास्टरमाइंड के रूप में हुई है। दो अन्य हमलावरों की भी पहचान कर ली गई है। इनमें से एक सीरिया और एक फ्रांस का है।हमले झेलने के दो दिन बाद ही फ्रांस ने रविवार देर रात आईएस के गढ़ रक्का में हवाई हमला कर दिया। 20 बम गिराए गए।फ्रांस के प्रेसिडेंट फ्रांस्वा ओलांद ने पार्लियामेंट में दी स्पीच में कहा कि फ्रांस आईएस के खिलाफ जंग शुरू कर चुका है।
वहीं, यूएस प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने कहा है कि हम अपनी पुरानी स्ट्रैटजी पर कायम हैं। हम सीरिया में जमीनी सेना नहीं उतारेंगे।जॉर्डन और यूएई से फ्रांस के 12 फाइटर जेट्स लगातार सीरिया के लिए उड़ान भर रहे हैं। यह साफ नहीं है कि फ्रांस ताजा हमलों में कितने बम सीरिया में गिरा चुका है। लेकिन जोरदार हमले जारी हैं। फ्रांस रात के वक्त रक्का में हमले कर रहा है।फ्रांस की जवाबी कार्रवाई के दौरान एक पहलू यह भी सामने आया है कि रक्का में रह रहे आम लोगों पर अब मौत का खतरा मंडरा रहा है। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, पहले रूस और अब फ्रांस के हवाई हमलों के कारण रक्का में लाेग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे। आईएस के खिलाफ लड़ाई में बेकसूरों की भी जान जा रही है।
फ्रांस ने एक न्यूक्लियर पावर्ड एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज Charles de Gaulle मेडिटैरियन सागर में सीरिया की तरफ रवाना कर दिया है।यह न्यूक्लियर मिसाइलों से लैस है। इसमें 26 फाइटर जेट्स एकसाथ पार्क हो सकते हैं।कुछ ही दिनों में इस जहाज के सीरिया के नजदीक पहुंचते ही फ्रांस के पास सीरिया में कार्रवाई के लिए कुल 38 फाइटर प्लेन्स मौजूद रहेंगे क्योंकि 12 फाइटर्स पहले से उस इलाके में मौजूद हैं।
इससे पहले, यूएस प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने तुर्की के अंताल्या में जी-20 समिट में कहा कि पेरिस पर बड़े हमले के बावजूद हम आतंकियों के खिलाफ जमीनी फौज न उतारने की स्ट्रैटजी पर कायम हैं। ओबामा ने अमेरिकी सरकार के इस रुख का फिर बचाव किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की अगुआई में आईएस के ठिकानों पर हो रहे हवाई हमले कारगर साबित हो रहे हैं। ऐसे में सीरिया की जमीन पर जमीनी फौज उतारना एक गलती होगी।
पेरिस हमले के बाद अमेरिका सवालों के घेरे में है। उस पर आरोप लग रहे हैं कि वह आईएसआईएस से निपटने के लिए असरदार कदम नहीं उठा रहा। तुर्की में चल रही जी20 समिट के दौरान भी ओबामा को इंटरनेशनल जर्नलिस्ट्स के कड़े सवालों का जवाब देना पड़ा। आलोचना करने वालों में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के अलावा फ्रांस भी है, जिसका मानना है कि आईएस से लड़ने में यूएस मिलिट्री को और ज्यादा अग्रेसिव अप्रोच अपनानी चाहिए।
आलोचनाओं के बावजूद ओबामा आईएसआईएस के खिलाफ जमीनी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि 2003 में इराक में जमीनी सेना उतारने के बाद आई दिक्कतों के मद्देनजर ओबामा अब मिडल ईस्ट के देशों में जारी संघर्ष में अपनी जमीनी सेना को नहीं झोंकना चाहते। इराक में काफी अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
कुछ क्रिटिक्स मानते हैं कि अमेरिका सीरिया में बशर सरकार के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों को लगातार मदद करता रहा है। इस वजह से भी वो इस लड़ाई का सीधा हिस्सा नहीं बनकर सिलेक्टिव अप्रोच अपना रहा है। क्रिटिक्स का यह भी आरोप है कि अमेरिका के लचर रवैए की वजह से ही सिविल वॉर झेल रहे सीरिया में आईएसआईएस को सिर उठाने का मौका मिला।ओलांद ने फ्रेंच पार्लियामेंट में कहा, “फ्रांस ने इस संकट के शुरुआत में ही कहा था कि सीरिया मामले पर यूनिटी होनी चाहिए, जो आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बहुत जरुरी है।