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सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर शी जिनपिंग से मिलेंगे पीएम मोदी

चीन में 27 और 28 अप्रैल को होने वाली समिट में नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात होगी। सूत्रों के मुताबिक, चंद अधिकारियों और सहयोगियों के साथ इस अनौपचारिक समिट में मोदी और जिनपिंग आने वाले 15 सालों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को नए आयामों पर ले जाने के लिए चर्चा करेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बॉर्डर जैसे विवादित मसलों पर भी चर्चा होगी।

 इससे पहले चीन के 4 दिवसीय दौरे पर गई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वॉन्ग यी ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुषमा स्वराज ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे। जिस तरह से 1962 की लड़ाई के बाद 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और चीन के सर्वोच्च नेता डेंग झाओपिंग ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को नए रास्तों पर ले जाने की शुरुआत की थी, उसी तरह से मोदी और जिनपिंग में आने वाले सालों में द्विपक्षीय संबंधों की दशा-दिशा तय करेंगे।

इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद जैसे विवादित मुद्दों पर समाधान का रास्ता निकालने पर ध्यान दिया जाएगा।सूत्रों ने कहा कि वुहान समिट दोनों नेताओं के बीच तालमेल बैैठाने के लिए एक ईमानदार कोशिश है ताकि दोनों के बीच कूटनीतिक विश्वास और बातचीत को बढ़ाया जा सके।

सुषमा स्वराज ने कहा चीन ने साफ किया है कि 2018 में वो सतलज और ब्रह्मपुत्र नदियों का डाटा हमारे साथ साझा करेगा। हम चीन के इस कदम का स्वागत करते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव वहां रह रहे लोगों पर सीधा पड़ता है। इसके साथ ही नाथूला दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू होगी।

सुषमा स्वराज ने कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत में विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे दोनों देशों के बीच विकास साझेदारी भी मजबूत होगी।वॉन्ग ने कहा हम ये निश्चित करेंगे कि मोदी और जिनपिंग के बीच अनौपचारिक मुलाकात सफल हो और भारत-चीन रिश्तों के लिए ये मील का पत्थर बने। भारत विकास और पुनर्निर्माण के अहम पड़ाव पर है। चीन भी नए युग में प्रवेश कर रहा है।

चीन की तरफ से मैं भारत को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेश में शामिल होने के लिए बधाई देता हूं। चीन और भारत सहज सहयोगी हैं। इस मुलाकात से चीन-भारत के संबंधों को भविष्य में और बेहतर करने के लिए दिशा मिलेगी। हमारे हित मतभेदों से काफी दूर हैं। दोनों देशों के पास स्थाई दोस्ती, आपसी सहयोग और विकास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर ने मोदी और जिनपिंग के बीच होने वाली मुलाकात को एक साहसिक कदम बताया है।एस जयशंकर ने कहा एक अनौपचारिक समिट में हिस्सा लेने के लिए दोनों नेताओं की सहमति ये दिखाती है कि रिश्तों की क्या अहमियत है। बेहतर रास्तों पर आगे बढ़ने के लिए दोनों नेताओं ने जिम्मेदारी को अपनाया है।

नरेंद्र मोदी पहले भी बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प, व्लादिमीर पुतिन और शिंजो आबे के साथ इस तरह की बातचीत कर चुके हैं। आजकल व्यक्तिगत संबंध बेहद अहम हो गए हैं। मुझे लगता है कि चीन भी इस बात को बखूबी समझता है और इसीलिए ये तालमेल शुरू हुआ है। मुझे लगता है कि ये पहले की मुलाकातों से इसलिए अलग है, क्योंकि ये बेहद अनौपचारिक माहौल में होगी।

इसके लिए एजेंडा निश्चित नहीं है और दोनों नेताओं के पास दो दिन में बात करने के लिए काफी वक्त होगा, जिसमें व्यक्तिगत बातचीत के लिए दूसरी मुलाकातों के लिहाज से काफी वक्त होगा।वॉन्ग यी के स्टेट काउंसिलर बनने के बाद सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री के बीच ये पहली मुलाकात है। वॉन्ग विदेश मंत्री का काम भी करते रहेंगे। 

सुषमा स्वराज ने कहा ये दिखाता है कि चीन लीडरशिप को आपकी क्षमताओं पर कितना भरोसा है। मुझे लगता है कि आपकी नई जिम्मेदारियों के चलते भारत और चीन के रिश्तों में सुधार होगा। हम चीन के नेताओं के साथ मिलकर काम करेंगे और दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

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