मालदीव में संकट पर चीन ने भारत को एक बार फिर वॉर्निंग दी है। चीन ने कहा कि अगर भारत मालदीव में सेना भेजने का फैसला करता है तो वह एक्शन लेने में पीछे नहीं हटेगा। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया कि भारत चीन के विरोध को नजरअंदाज न करे।
बता दें कि इससे पहले भी चीन ने कहा था कि भारत ने इस देश में दखल दिया तो हालात और बिगड़ेंगे। मालदीव में पिछले 12 दिन से राजनीतिक संकट बना हुआ है।ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- यूएन की इजाजत के बिना, कोई भी ऑर्म्ड फोर्स किसी भी देश में दखल नहीं कर सकती।
चीन मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगा। इसका मतलब यह नहीं कि बीजिंग उस वक्त चुप बैठा रहे, जब नई दिल्ली नियम-कायदों को तोड़े।भारत यदि एकतरफा कार्रवाई करते हुए मालदीव में सेना भेजता है तो चीन भी उसे रोकने के लिए जरूरी एक्शन लेगा।यह संपादकीय माले में अनधिकृत सैन्य हस्तक्षेप रोका जाना चाहिए टाइटल से लिखा गया।
इसमें कहा गया कि माले में तनावपूर्ण हालात देखते हुए भारत को संयम बरतना चाहिए। मालदीव इस वक्त संकट से जूझ रहा है। यह देश का आंतरिक मामला है और चीन किसी भी बाहरी दखल का सख्त विरोध करता है।2008 में मोहम्मद नशीद पहली बार देश के चुने हुए राष्ट्रपति बने थे। 2012 में उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद से ही मालदीव में संकट शुरू हुआ।
एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इन नेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त किए गए 12 विधायकों की बहाली का भी ऑर्डर दिया था।
सरकार ने कोर्ट का यह ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते सरकार और कोर्ट के बीच तनातनी शुरू हो गई। कई लोग राष्ट्रपति अब्दुल्ला के विरोध में सड़कों पर आए थे। विरोध देखते हुए सरकार ने 5 फरवरी को देशभर में 15 दिन की इमरजेंसी का एलान कर दिया।निर्वासित एक्स-प्रेसिडेंट मोहम्मद नशीद ने भारत से मदद मांगी है।