चीन ने बीजिंग और नयी दिल्ली दोनों जगहों पर दलाई लामा की अरूणाचल प्रदेश यात्रा पर अपना विरोध दर्ज कराया है और विवादित क्षेत्र में तिब्बती आध्यात्मिक नेता को जाने की अनुमति देकर उसपर तनाव भड़काने का आरोप लगाया है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयांग ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए बुधवार (5 अप्रैल) को कहा मैं पुष्टि कर सकती हूं कि चीन ने बीजिंग और दिल्ली में विरोध दर्ज कराया है.
हुआ ने कहा कि बीजिंग में चीन में भारतीय दूत विजय गोखले के समक्ष विरोध दर्ज कराया गया. दिल्ली में विदेश मंत्रालय के सक्षम अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज करायी गयी.यह पूछे जाने पर कि क्या बीजिंग 81 वर्षीय दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने की भारत की अनुमति को एक चीन नीति पर सवाल की तरह देखता है, हुआ ने कहा मैं फिर से जोर देना चाहूंगी कि चीन के अहम चिंता और मुख्य हितों, क्षेत्रीय और संप्रभुता संबंधी मुद्दों पर चीन का रुख समान रहा है.
उन्होंने कहा चीन और भारत के बीच विवादित इलाके में दलाई लामा (के दौरे) को मंजूरी और आमंत्रित कर भारत ने हमारे हितों और भारत-चीन संबंधों को नुकसान पहुंचाया है और तनाव को भड़काया है.उन्होंने कहा हम संबंधित इलाके के दौरे का विरोध करते हैं और चीन विरोधी गतिविधियों के वास्ते दलाई (लामा) के लिए मंच की व्यवस्था कर संबंधित देशों की कोशिशों का विरोध करते हैं.
हम संबंधित देशों से इस तरह के त्रुटिपूर्ण कदमों को रोकने और चीनी हितों को कम करके आंकना बंद करने का अनुरोध करते हैं.चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि दलाई लामा की यात्रा से भारत-चीन संबंधों को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष एक दूसरे के हितों और मुख्य चिंताओं के आपसी सम्मान के सिद्धांतों का पालन कर सकते हैं और हमें और ऐसे कदम उठाने चाहिए ताकि आपसी राजनीतिक भरोसा मजबूत हो कसे और चीन-भारत संबंधों के समग्र हितों को बढ़ावा मिल सके.
भारत के एनएसजी कदम पर हुआ ने कहा कि मुद्दा समूह के सभी 48 सदस्यों द्वारा हल किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा हमें एक समाधान हासिल करना चाहिए जिसे बिना किसी भेदभाव के विमर्श और परिचर्चा के जरिए सभी गैर परमाणु गैर निरस्रीकरण समझौता देशों पर लागू किया जा सके.बहरहाल, चीन के सरकारी मीडिया ने गुरुवार को कहा कि अगर भारत दलाई लामा को अरूणाचल प्रदेश की यात्रा करने की अनुमति देकर घटिया खेल खेलता है तो चीन को भी ‘ईंट का जवाब पत्थर से देने में’ हिचकना नहीं चाहिए.
चाइना डेली और ग्लोबल टाइम्स ने भारत के गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू के बयान के बाद भारत पर तीखा हमला बोला है. रिजीजू ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वह ‘भारत का अभिन्न हिस्सा है.रिजीजू की टिप्पणियों पर विरोध जताते हुए इन अखबारों ने कहा कि भारत दलाई लामा का इस्तेमाल चीन के खिलाफ एक रणनीतिक औजार के रूप में कर रहा है.
वह ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के खिलाफ ‘वीटो जैसे मजबूत’ अधिकार का इस्तेमाल किया है.चाइना डेली ने अपने संपादकीय में कहा नयी दिल्ली ने ना सिर्फ 14वें दलाई लामा को दक्षिणी तिब्बत में आने की इजाजत दी बल्कि तिब्बती आजादी के आध्यात्मिक नेता को भारत के गृह मामलों के कनिष्ठ मंत्री ने एक सैर भी करवाई. दक्षिणी तिब्बत भारत द्वारा अवैध ढंग से कब्जाया गया ऐतिहासिक चीनी क्षेत्र है और भारत उसे अरुणाचल प्रदेश’ कहता है.