चीन फिर से डोकलाम में कंस्ट्रक्शन कर रहा है। सामने आई खुफिया रिपोर्ट बताती है कि डोकलाम में चीन 25 टेंट लगा दिए हैं। पहले ये भी रिपोर्ट आ चुकी है कि डोकलाम में अब भी चीनी टैंक और मिसाइलें तैनात हैं। सैटेलाइट इमेज के हवाले से ये भी दावा किया गया था। इसके बाद तय है कि चीन के मंसूबे ठीक नहीं हैं। वो हर हाल में भारत को घेरने के मूड में है।
इधर, मालदीव में चल रहे राजनीतिक संकट के पीछे भी चीन का हाथ होने के संकेत मिला रहे हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, चीन डोकलाम में फिर निर्माण कार्य शुरू कर चुका है। उत्तरी और पश्चिमी डोकलाम में कंस्ट्रक्शन जारी है। चीन ने यहां पर 25 छोटे-बड़े कई तरह टेंट लगा दिए हैं। यहां पर जवानों को इकट्ठा किया जा रहा है।
इसके अलावा बुलेटप्रूफ गाड़ियों की आवाजाही के लिए रोड का कंस्ट्रक्शन भी किया जा रहा।रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि सिंचा ला की तरफ से आने वाली सड़क को चीन मजबूत कर रहा है। सिंचा ला और डोकलाम के पास उसने निगरानी के लिए टावर भी बनाए हैं।
इस बात का भी जिक्र है कि उत्तरी डोकलाम में चीन अपनी एयरफोर्स को एक्टिव करने में लगा है। इतना ही नहीं असम के लगे इलाकों में भी वो अपनी सेना को मजबूत कर रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक, तिब्बत में चीन पिछले तीन हफ्ते में 50 से ज्यादा फाइटर जेट्स तैनात कर चुका है।
चीन ने पिछले साल दिसंबर से लेकर अब तक तिब्बत के गोंगबा, ट्राक्सिंग गोंपा और चुंबी वैली में 52, 53 और 54 माउंटेन ब्रिगेड को तैनात किया है।मालदीव में जारी राजनीतिक संकट को लेकर भी इस तरह की सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहीं इसके पीछे भी चीन का हाथ तो नहीं है।
चीन ने मालदीव के इस संकट में किसी बाहरी के दखल का विरोध किया था। जबकि निर्वासित एक्स-प्रेसिडेंट मोहम्मद नशीद ने भारत से ही मदद की मांग की थी।चीन ने मालदीव के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी इन्वेस्टमेंट किया है। पाकिस्तान के बाद मालदीव दूसरा ऐसा देश है जिसके साथ चीन का फ्री ट्रेड एग्रिमेंट है। दोनों देशों में ये समझौता 2017 में हुआ था।
यहां राष्ट्रपति यामीन ने इस समझौते को लागू कराने के लिए संसद में काफी जल्दी दिखाई थी, जिसपर विपक्षी पार्टियों और भारत ने चिंता जताई थी।चीन और राष्ट्रपति यामीन की बढ़ती करीबियों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि मालदीव में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। ये चीन के भारत को घेरने के प्लान के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन अपने वन बेल्ट रोड प्रोजेक्ट की तरह ही हिंद महासागर के रास्ते भी एक मैरीटाइम सिल्क रोड बनाना चाहता है। इसके लिए वो श्रीलंका में भी बंदरगाह बना रहा है।चीन लैंड और मैरीटाइम सिल्क रोड से भारत को हर तरफ से घेरने का प्लान बना रहा है। जहां वन बेल्ट वन रोड के तहत चीन PoK से भारत को घेर रहा है।
वहीं हिंद महासागर में श्रीलंका के साथ हम्बनटोटा पोर्ट के लिए पैसे देकर अपना प्रभुत्व कायम करने की कोशिश कर रहा है।बता दें कि हम्बनटोटा पोर्ट को बनाने और 99 साल के लिए लीज पर लेने के लिए चीन ने श्रीलंका में करीब 8 बिलियन डॉलर्स का इन्वेस्टमेंट किया है।