संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल रोहिंग्या शरणार्थी संकट का मुआयना करने के लिए म्यांमार पहुंचेगा और रखाइन प्रांत का दौरा करेगा. रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पिछले साल अगस्त में शुरू हुए सैन्य अभियान के बाद से यह रखाइन प्रांत का संयुक्त राष्ट्र का उच्चस्थ दौरा होगा.
बौद्ध बहुल म्यांमार आरोपों पर सवाल उठाता है, लेकिन वह संयुक्त राष्ट्र के तथ्यान्वेषियों और अधिकारदूतों को देश में प्रवेश से रोककर संघर्षक्षेत्र तक पहुंच को बुरी तरह अवरुद्ध करता रहा है.फरवरी में संयुक्त राष्ट्र के पहले प्रस्तावित दौरे के बाद म्यांमार सरकार ने कहा कि यह ‘उचित समय नहीं है, लेकिन इस महीने के शुरू में 15 परिषद दूतों के दौरे को मंजूरी दे दी.
सैन्य अभियान के चलते लगभग सात लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश भाग गए.म्यांमार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ब्यौरा दिए बिना कहा कि वे 30 अप्रैल को यहां की राजधानी आएंगे और अगले दिन रखाइन जाएंगे. इससे पहले बांग्लादेश ने पांच रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के म्यांमार के दावे को बीते 16 अप्रैल को खारिज कर दिया.
सेना के भीषण अभियान के बाद म्यांमार के करीब 700,000 रोहिंग्या लोगों को देश छोड़कर बाहर जाना पड़ा था. म्यांमार सरकार ने 15 अप्रैल को एक बयान में कहा था कि रोहिंग्या परिवार के पांच सदस्य पश्चिमी रखाइन राज्य लौट आए और पहली बार रोहिंग्या लोगों की वापसी हुयी है. शनिवार को ये पांचों लोग नवनिर्मित स्वागत केंद्र में पहुंचे.
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्ज़मां खान कमाल ने 16 अप्रैल को बयान में कहा कि म्यांमार का दावा झूठा है कि परिवार वापस आ गया है.वापसी प्रक्रिया देख रहे म्यांमार के समाज कल्याण मंत्री विन म्येट अये ने एक बयान कहा कि वे (रोहिंग्या) वापस आए और अधिकारियों ने उनकी पहचान की और कागजात वगैरह बनाए.
बयान में कहा गया है कि प्राधिकारियों ने यह पता लगाया कि क्या वे म्यांमार में रहते थे और उनके पास राष्ट्रीय सत्यापन कार्ड था. इसका मतलब यह नागरिकता नहीं है. म्यांमार रोहिंग्या को नागरिकता देने से इनकार करता है और उन्होंने दशकों से जुल्म का सामना किया है.
आगे उन्होंने कहा कि परिवार अस्थायी रूप से मौंडगाउ शहर में अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं जो सरहद के पास प्रशासनिक केंद्र है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या और भी रोहिंग्या वापस आने वाले हैं.