मिलकर साथ चलने से ही बढ़ेगा एशिया:मोदी

एशिया के पिछड़ सकने की चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्षेत्र के लोगों को मिलकर आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटना चाहिए और इसमें भारत अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में एशियाई नेतृत्व मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘अगर एशिया को आगे बढ़ना है तो उसे अपने को केवल एक क्षेत्रीय धड़े के रूप में नहीं सोचना चाहिए। एशिया में प्रतिद्वन्द्विता हमें पीछे ले जाएगी और एकजुटता दुनिया को आकार प्रदान करेगी।’

प्रधानमंत्री ने समृद्धि और समावेशी विकास के लिए क्षेत्रीय देशों के बीच सामूहिक प्रयासों की पुरजोर वकालत की। मोदी ने कहा कि आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा और बीमारी जैसी साझा चुनौतियों के खिलाफ लड़ाई क्षेत्र के देशों का साझा कार्य है। उन्होंने कहा, ‘एशिया के दो चेहरे नहीं होने चाहिए जहां एक ओर उम्मीद एवं समृद्धि हो और दूसरी ओर अभाव और निराशा हो।’ चीन और मंगोलिया के बाद दक्षिण कोरिया की यात्रा पर आए मोदी ने कहा, ‘यह ऐसे देशों का महाद्वीप नहीं होना चाहिए जहां कुछ राष्ट्र आगे बढ़े रहे हों और अन्य पीछे जा रहे हों। यह ऐसा नहीं होना चाहिए जहां कुछ क्षेत्रों में स्थिरता हो और अन्य में अस्थिर संस्थाएं हों।’ अशांत क्षेत्रों और दूसरे हिस्सों पर उसके पड़ने वाले प्रभाव का एक तरह से जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज पश्चिम एशिया में जो हो रहा है, उसका पूर्वी एशिया पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।’

मोदी ने कहा, ‘और महाद्वीपों में क्या होता है, वह एशियाई भूमि को प्रभावित करेगा। हमें एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने आज जिस मंच को संबोधित किया उसमें दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गुन-हे और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी हिस्सा लिया। मोदी ने कहा कि भारत एशिया के चौराहे पर स्थित है और वह एक-दूसरे से जुड़े एशिया के निर्माण में अपनी जिम्मेदारी निभायेगा। उन्होंने कहा, ‘गतिशील लेकिन अनिश्चितताओं से भरे एशिया को अपना रास्ता खुद बनाने की पहल करनी चाहिए और उसे अपनी बढ़ती ताकत के साथ दुनिया की बड़ी जिम्मेदारी भी उठानी होगी।’

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे की पुरजोर वकालत की पृष्ठभूमि में मोदी ने कहा, ‘एशियाई के रूप में हमें संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद समेत वैश्विक संस्थाओं के प्रशासन में सुधार के बारे में काम करना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की क्षमता के बारे में कभी कोई संदेह नहीं था। उन्होंने कहा, ‘पिछले वर्ष के दौरान हम वादों को वास्तविकता और उम्मीदों को विश्वास में बदल रहे हैं। भारत की विकास प्रतिवर्ष 7.5 प्रतिशत की दर पर लौट आई है और इसके और बेहतर होने की संभावना है।’ मोदी ने कहा कि दुनिया एक स्वर में कह रही है कि भारत हमारे क्षेत्र और दुनिया की उम्मीदों का नया प्रकाशपुंज है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास एशिया की सफलता की कहानी होगी और एशिया के बारे में हमारे सपनों को और भी बड़ी वास्तविकता बनाएगी।

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