अमेरिका ने ये कदम तब उठाया है, जब हफ्तेभर पहले ही डोनाल्ड ट्रम्प ने व्लादिमीर पुतिन को चौथी बार राष्ट्रपति चुने जाने पर फोन पर बधाई दी थी। हालांकि, उन्होंने इस बातचीत में जासूस को जहर दिए जाने का मामला नहीं उठाया था।ट्रम्प के इस फोन के बाद ये सवाल उठने लगा था कि अमेरिका की मौजूदा सरकार रूस को लेकर ज्यादा ही नर्मदिली दिखा रही है।
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा निकाले गए राजनयिकों को हफ्तेभर के भीतर अमेरिका से जाना होगा।ये कदम रूस को संदेश भेजने के लिए उठाया गया है, जिसके जासूस बड़ी तादाद में राजनयिकों के भेष में अमेरिका में काम कर रहे थे।
हालांकि, सिएटल वाणिज्य दूतावास बंद करने पर अधिकारी ने कहा कि यूएस नेवी बेस से इसकी नजदीकी को देखते हुए ऐहतियातन ये कदम उठाया गया है।ब्रिटेन इस मामले में पहले ही 23 रूसी राजनयिकों को देश से निकाल चुका है।अमेरिका के अलावा करीब एक दर्जन देशों से ऐसे ही कदम उठाने की उम्मीद की जा रही थी।
इनमें रूस के पड़ोसी देश भी शामिल हैं।पोलैंड ने रूस के राजदूत को इस मसले पर बातचीत के लिए समन भेजा था। यूरोपियन यूनियन ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि उसके सदस्य देश रूस के खिलाफ सुरक्षात्मक कदम उठा सकते हैं। ईयू ने अपने राजनयिक को भी रूस से वापस बुला लिया था।
2010 से इंग्लैंड में रह रहे रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया चार मार्च को सेल्सबरी सिटी सेंटर के बाहर बेहोश मिले थे। दोनों अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। जांच में सामने आया था कि इन दोनों पर किसी खतरनाक नर्व एजेंट (जहरीले रसायन) का इस्तेमाल किया है। इस घटना के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया गया था।