संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र को संबोधित करने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज यहां पहुंच चुकी हैं और सभी की नजरें तथा कान महासभा में कल होने जा रहे उनके संबोधन पर टिके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अपने संबोधन में सुषमा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर पर आक्षेपों का एक चुभ जाने वाला जवाब देने वाली हैं। सुषमा कल दोपहर यहां पहुंची हैं और कल सुबह वह संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक ट्वीट में कहा संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र में भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज न्यूयार्क पहुंचीं। शरीफ ने महासभा में अपने संबोधन के दौरान ज्यादा ध्यान कश्मीर पर ही केंद्रित रखा था। ऐसे में सुषमा से उम्मीद की जा रही है कि वह शरीफ के उस भाषण का कड़ा जवाब देंगी।
शरीफ के भाषण पर भारत ने जवाब के अधिकार का इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को आतंकवाद की शरणस्थली’ तथा ऐसा आतंकी देश करार दिया, जो आतंकवाद का इस्तेमाल सरकारी नीति के तौर पर करते हुए ‘युद्ध अपराधों’ को अंजाम देता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत के प्रमुख फोकस को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरूद्दीन ने कहा था कि आतंकवाद भारत के साथ-साथ विश्वभर के देशों के लिए प्राथमिक चिंता का विषय है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और शांति रक्षा जैसी अन्य प्राथमिकताओं को भी सूचीबद्ध किया और इन्हें महासभा के मौजूदा सत्र में भारत की प्राथमिकता बताया। स्वरूप ने 23 सितंबर को यहां संवाददाताओं से कहा कि पूरा विश्व और पूरा देश सुषमा स्वराज का संबोधन सुनने का इंतजार कर रहा है। वह 71वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारत का ‘विजन दस्तावेज’ पेश करने वाली हैं। उन्होंने कहा था हम सभी उसका (संबोधन का) इंतजार कर रहे हैं।
हालांकि उन्होंने सुषमा के संबोधन में शामिल बातों पर विस्तृत जानकारी नहीं दी लेकिन यह कहा कि ‘पूरा विश्व और पूरा देश यह सुनने का इंतजार कर रहा है कि विदेश मंत्री क्या कहने वाली हैं? लेकिन मुझे लगता है कि मोटे तौर पर जिन मुद्दों को अकबरूद्दीन ने रेखांकित किया है, वह निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के इस सबसे अहम मंच पर हमारे प्रतिनिधित्व का हिस्सा बनने वाले हैं।
स्वरूप ने कहा कि आप आतंकवाद के मुद्दे को भारत द्वारा लगातार केंद्र में रखे जाने की उम्मीद कर सकते हैं, जो इस समय निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर मंडराने वाला एकमात्र सबसे बड़ा खतरा है।जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर शरीफ की ओर से लगाए गए बड़े आक्षेपों के बाद अपने जवाब के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव ई.
गंभीर ने कहा था मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन आतंकवाद है। उन्होंने कहा आतंकवाद का इस्तेमाल जब सरकारी नीति के तौर पर किया जाता है, तो यह युद्ध अपराध होता है। मेरा देश और हमारे अन्य पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली दीर्घकालिक नीति का सामना कर रहे हैं। इसके परिणाम हमारे क्षेत्र के पार तक फैले हुए हैं।