अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आज फिनलैंड के राष्ट्रपति भवन में मुलाकात होगी। दोनों नेताओं के बीच यह पहली शिखर वार्ता है। इससे पहले वे किसी सम्मेलन से इतर ही मिले हैं। दोनों नेता मुलाकात के बाद संयुक्त बयान भी जारी करेंगे।
माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान अमेरिका का सबसे ज्यादा जोर भारत, रूस और चीन के बीच ताकतवार होते गठजोड़ को कमजोर बानाने पर रहेगा। इस मुलाकात के और क्या हैं मायने यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह से बातचीत की।
हाल ही में ट्रम्प के साथ हुई बैठक में नाटो विभाजित नजर आ रहा है। नाटो के आर्थिक रूप से सबसे ताकतवर देश जर्मनी पर पुतिन का खासा प्रभाव है। यूरोपियन यूनियन (ईयू) में मौजूद अमेरिका के पुराने सहयोगियों पर भी पुतिन का प्रभाव बढ़ रहा है।
अगर ट्रम्प, पुतिन को साथ लेकर नहीं चलते, तो इससे वैश्विक शक्ति संतुलन रूस के पास चला जाएगा।अप्रैल में नरेंद्र मोदी की शी जिनपिंग और मई में पुतिन से अनौपचारिक मुलाकात हुई। इससे मॉस्को, बीजिंग और नई दिल्ली का ट्राइएंगल कुछ मजबूत हुआ।
इससे अमेरिका की परेशान है। ट्रम्प रूस से टकराव नहीं चाहते, क्योंकि पुतिन ने उन्हें चुनाव जिताने में मदद की थी। उनका मकसद ट्राइएंगल से रूस को अलग करना है। ट्रम्प का मानना है कि अगर इन तीन देशों का गुट मजबूत हुआ तो उनके लिए चुनौती बन जाएगा और यूरेशिया से दक्षिण एशिया तक उनके लिए दीवार खड़ी हो जाएगी।
नवंबर 2017 में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने मनीला क्वाडिलेटरल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। उसी दौर में पुतिन ने जापान की ओर कदम बढ़ाया और पिवट टू एशिया (एशिया की ओर) नाम की नीति बनाई। इसके जरिए रूस, जापान के पक्ष वाले पूर्वी एशिया के देशों की ओर बढ़ना चाहता है ताकि वह चीन से संतुलन बना सके।
हाल ही में चीन और रूस ने रणनीति बनाकर अमेरिका-उत्तर कोरिया की वार्ता कराई। यहां रूस प्रभावी नजर आ रहा है। ऐसे में अमेरिका उसे अपने पाले में करना चाहता है।न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ट्रम्प ने पुतिन से मुलाकात से पहले रूस, यूरोपीय संघ और चीन को अमेरिका का दुश्मन बताया है।
उन्होंने सीबीएस के फेस द नेशन कार्यक्रम में कहा मैं समझता हूं कि हमारे कई दुश्मन हैं। यूरोपीय संघ दुश्मन है, वह व्यापार में हमारे लिए क्या करता है? रूस कुछ मायनों में दुश्मन है। चीन आर्थिक रूप से दुश्मन है, निश्चित ही वह दुश्मन है।