अमेरिकी संसद में ग्रीन कार्ड्स जारी करने वाला बिल पेश

डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने ग्रीन कार्ड्स को लेकर एक अहम बिल संसद में पेश किया। इसमें मेरिट के आधार पर इमिग्रेशन सिस्टम पर जोर दिया गया है। साथ ही 45% ग्रीन कार्ड्स में इजाफा करने की बात कही गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर इस बिल पर संसद में मुहर लगती है, तो करीब 5 लाख भारतीयों को फायदा हो सकता है, जो इस कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

इससे पहले ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने H-1B वीजा पर चल रहे संशय पर स्थिति साफ की थी और कहा था कि वह एक्सटेंशन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं कर रहा है। इस फैसले का फायदा साढ़े सात लाख इंडियन प्रोफेशनल्स को होगा। वे आगे भी वहां नौकरियां करते रहेंगे। उन्हें भारत नहीं लौटना होगा।

इस बिल का नाम सिक्योरिंगअमेरिकाज फ्यूचर एक्ट है। पहले इस पर अमेरिकी संसद में बहस होगी। अगर पास होता है तो इसे प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प को भेजा जाएगा। फिर उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।इस बिल में ग्रीन कार्ड्स जारी किए जाने की मौजूदा सीमा को 1.20 लाख से 45% बढ़ाकर 1.75 लाख सालाना करने की मांग की गई है।

डायवर्सिटी वीजा प्रोग्राम खत्म हो जाएगा। वहीं, एक साल में ओवरऑल इमिग्रेशन लेवल 10 लाख 50 हजार से घटकर 2, 60,000 हो जाएगा।भारत समेत दूसरे देशों के उन लोगों को फायदा मिलेगा, जो नौकरी करने के लिए अमेरिका पहुंचते हैं। इसके लिए पहले H-1B जारी किया जाता है। बाद में वे स्थायी तौर पर रहने के लिए कानूनी दर्जा प्राप्त करने के लिए ग्रीन कार्ड्स जारी किया जाता है।

एक अनुमान के मुताबिक, करीब 5 लाख भारतीयों ने ग्रीन कार्ड के लिए अप्लाई किया है।पिछले दिनों खबर आई थी कि अमेरिका अपनी वीजा पॉलिसी में बदलाव करने जा रहा है। इस बदली हुई पॉलिसी के तहत डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटी (डीएचएस) का ये प्रस्ताव उन विदेशी वर्करों को अपना H-1B वीजा रखने से रोक सकता है जिनके ग्रीन कार्ड आवेदन लंबित पड़े हों।

ग्रीन कार्ड पर संसद में रखे गए इस बिल के बाद अब यह खतरा अब खत्म होता दिख रहा है। यदि ऐसा होता तो 75 हजार भारतीयों को अमेरिका छोड़ना पड़ सकता था।अमेरिका हर साल 85,000 नॉन-इमिग्रंट H-1B वीजा जबकि 65,000 विदेशियों को विदेशों में नियुक्ति और अमेरिकी स्कूल-कॉलेजों के एडवांस डिग्री कोर्सेज में दाखिले के लिए 20,000 लोगों को वीजा प्रदान करता है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की ही होती है।

H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं।H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं।USCIS जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को एच-1बी वीजा जारी करता है।

अप्रैल 2017 में यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेस (USCIS) ने 1 लाख 99 हजार H-1B पिटीशन रिसीव किया।अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए, यानी 103% ज्यादा। ये स्टूडेंट्स यूएस के किसी संस्थान में पढ़े हुए होने चाहिए। इनके सब्जेक्ट साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और मैथ्स होने चाहिए।

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