चीन को सबक सिखाने के लिए अमेरिका बड़ी तैयारी कर रहा है. चीन की विस्तारवाद को रोकने के लिए भारत और अमेरिका एक साथ आ गए हैं. कम्युनिस्ट चीन को सबक सिखाने के लिए ट्रंप प्रशासन की बड़ी तैयारी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व मुख्य रणनीतिकार स्टीव बैनन ने खुलासा किया है. स्टीव ने कहा कि तिब्बत पर भारत-चीन विवाद मामले में अमेरिका भारत को सहयोग कर रहा है.
इतना ही नहीं, अमेरिका सैन्य, आर्थिक, तकनीक सहित कई मुद्दों पर चीन की घेराबंदी कर रहा है. भारत सहित तमाम सहयोगियों के साथ अमेरिका एकजुट हो गया है. मलक्का में चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने रणनीति बनाई है. अंडमान में भारत-अमेरिका ने साझा युद्धाभ्यास किया है.
चीन के खिलाफ अब रोजाना कुछ ऐसा हो रहा है जिस देखकर और सुनकर शी जिनपिंग को बेचैनी जरूर होती होगी. चीन को अहसास हो चुका है कि उसने गलवान में हिंदुस्तान को छेड़कर बहुत बड़ी भूल कर दी है क्योंकि अब चीन की आर्ट ऑफ वॉर पर मोदी का प्रहार भारी पड़ रहा है.
इससे पहले हम आपको ये बताएं कि भारत ने चीन को घेरने का क्या ब्लूप्रिंट बनाया है, उससे पहले आप यह जान लें कि चीन की आर्ट ऑफ वॉर नीति क्या है.चीन में 2500 साल पहले युद्ध रणनीतिकार सुन जू ने द आर्ट ऑफ वॉर नाम से किताब लिखी. इस किताब के 13 अध्यायों में जंग में जीत के तरीके बताए गए हैं.
चीन को लगा होगा कि वो हिंदुस्तान के खिलाफ भी इसी आर्ट ऑफ वॉर को आजमाएगा और कामयाब हो जाएगा. चीन से भारत को पहचानने में गलती कर दी. चीन को गलवान का बड़ा खमियाजा भुगतेगा. अमेरिका के सबसे बड़े युद्धपोत में से एक निमित्ज क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर अंडमान निकोबार में भारतीय नौसेना के साथ युद्धाभ्यास करने पहुंच चुका है.
चीन को घेरने के लिए भारत ने 108 अतिरिक्त बोफोर्स तोप की तैनाती कर दी है. रफाल लड़ाकू विमान भी बहुत जल्द भारत पहुंच रहे हैं. हिंद महासागर में ही भारतीय वायुसेना ने जगुआर लड़ाकू विमानों की भी तैनाती कर दी है. ये जगुआर विमान घातक हार्पून मिसाइल से लैस हैं. हार्पून मिसाइल एंटी शिप मिसाइल हैं यानी दुश्मन के जंगी जहाज को ध्वस्त करने में सक्षम है.
भारत-चीन सीमा विवाद के बीच अमेरिका के इस एयरक्राफ्ट कैरियर का भारत आना चीन के लिए बड़ी परेशान बना सकता है. अमेरिका अपने इस बाहुबली युद्धपोत के साथ लड़ाकू विमानों की पूरी फौज लेकर आया है. USS निमित्ज क्लास 90 फाइटर जेट के साथ अंडमान में मौजूद है.
इस युद्धपोत के साथ अमेरिका के 3 हजार नौसैनिक भी युद्ध अभ्यास में शामिल होने के लिए आए हैं. चार दिन पहले किया गया अमेरिकी रक्षा मंत्री का ये ट्वीट के मायने अब और गहराई से समझे जा सकते हैं. मार्क एस्पर ने लिखा था कि आजाद लोकतांत्रिक देशों की ताकत को कम मत आंको.
हिंद महासागर में भारत और अमेरिका के लड़ाकू विमानों की जुगलबंदी और उनकी गर्जना को सुनकर बीजिंग को भी इस बात का अहसास होगा कि मोदी और ट्रंप की दोस्ती कितनी मज़बूत है. भारत चीन के तनाव में अमेरिका खुलकर हिंदुस्तान के साथ खड़ा है. चीन के आर्ट ऑफ वॉर पर यही मोदी का प्रहार है.