दोस्तों जैसा की हम सब जानते है की शादी किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे ख़ास दिन होता है लेकिन अगर आज हम आपसे ये पूछे की क्या आपको पता है की शादी कितने प्रकार से होती है? तो ये सवाल आप सबको हैरान कर देगा क्यूंकि हम लोगों में से शायद ही किसी व्यक्ति को पता होगा की शादी कितने प्रकार से होती है।
क्यूंकि हमने जितनी भी Wedding अटेंड की है उनमे देखा है की पंडित जी शाश्त्रो के हिसाब से मन्त्र पढ़ते है वर -वधु अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते है और शादी सम्पन्न हो जाती है। www.abcevent.in
लेकिन शास्त्रों की माने तो शादी 8 प्रकार से की जाती है।
1. जिसमे सबसे पहला नम्बर आता यही ब्रह्म विवाह का – इस विवाह के अंतरगर्त दोनों पक्षों की रज़ामंदी से वर का विवाह कन्या से निश्चित कर देना ब्रह्म विवाह कहलाता है। या फिर अगर सीधे शब्दों में बात करें तो जिन रीती रिवाजो से हमारे घरो में आजकल शादिया होती है वो ब्रह्म विवाह का ही रूप है।
2.देव विवाह – किसी धार्मिक अनुष्ठान के मूल्य के रूप में अपनी बेटी को दान में दे देना देव विवाह कहलाता है।
3 . आर्श विवाह – कन्या-पक्ष वालों को कन्या का मूल्य दे कर (सामान्यतः गौदान करके) कन्या से विवाह कर लेना “आर्श विवाह” कहलाता है|
4.प्रजापत्य विवाह – लड़की की हां के बिना उसकी शादी किसी रहीस घराने के व्यक्ति से कर देना ‘प्रजापत्य विवाह’ कहलाता है।
5. गंधर्व विवाह – परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना ‘गंधर्व विवाह’ कहलाता है। वर्तमान में यह मात्र यौन आकर्षण और धन तृप्ति हेतु किया जाता है, लेकिन इसका नाम प्रेम विवाह दे दिया जाता है। इसका नया स्वरूप लिव इन रिलेशनशिप भी माना जाता है।
6. असुर विवाह – लड़की को (आर्थिक रूप से) उसके परिवार वालो से खरीद कर विवाह कर लेना ‘असुर विवाह’ कहलाता है।
7. राक्षस विवाह – लड़की की सहमति के बिना उसका अपहरण करके जबरदस्ती विवाह कर लेना ‘राक्षस विवाह’ की श्रेणी में आता है।
8.पैशाच विवाह – लड़की की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) का फायदा उठा कर उससे शारीरिक सम्बंध बनाना और उससे विवाह करना ‘पैशाच विवाह’ कहलाता है।
शास्त्रों के हिसाब से इन आठ प्रकारो से विवाह किए जाते थे लेकिन इन सभी प्रकारो में से ब्रह्मविवाह सबसे सर्वोत्तम माना गया है। इस विवाह में वैदिक रीति और नियम का पालन किया जाता है।यही कारण है कि हिन्दू धर्म में ब्रह्म विवाह को एक पवित्र-संस्कार के रूप में मान्यता दी गयी है।
By Rahul Kumar