प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को एक बार फिर अपने रेडियो कार्यक्रम के जरिए देशवासियों से अपने ‘मन की बात’ की.प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सुबह-सुबह मुझे दिल्ली के नौजवानों के साथ कुछ पल बिताने का अवसर मिला और मैं मानता हूं कि आने वाले दिनों में पूरे देश में खेल का रंग हर नौजवान को उत्साह-उमंग के रंग से रंग देगा. हम सब जानते हैं कि कुछ ही दिनों में विश्व का सबसे बड़ा खेलों का महाकुम्भ रियो होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि रियो में जो खेलने के लिये गए हैं, उन खिलाड़ियों का हौसला बुलंद करने का काम हम सवा-सौ करोड़ देशवासियों का है.पीएम ने कहा कि जीत और हार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन साथ-साथ इस खेल तक पहुंचना उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसीलिए हम सभी देशवासी रियो ओलंपिक के लिए गए हुए हमारे सभी खिलाड़ियों को शुभकामनायें दें. इन खिलाड़ियों को आपका सन्देश पहुंचाने के लिए देश का प्रधानमंत्री पोस्टमैन बनने को तैयार है.
मन की बाद में प्रधानमंत्री ने लोगों से ये भी अपील की कि एंटीबायोटिक दवाएं डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही लें.उन्होंने कहा कि कई बार लोग बीमार होने पर जल्दी ठीक होने के लिए कोई भी एटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं. इससे तत्काल तो बीमारी से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन इस तरह एंटीबायोटिक लेने की आदतें बहुत गंभीर संकट पैदा कर सकती हैं.
हो सकता है, आपको तो कुछ पल के लिए राहत मिल जाए, लेकिन डॉक्टरों की सलाह के बिना हम एंटीबायोटिक लेना बंद करें. क्योंकि अनाप-शनाप एंटीबायोटिक लेने से मरीज को तो तुरंत तो लाभ हो जाता है, लेकिन इसके जीवाणु इन दवाइयों के आदी बन जाते हैं और फिर दवाइयां इन जीवाणुओं के लिए बेकार साबित हो जाती हैं. इसलिये इस पर जागरूक रहने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि डॉक्टर ने जितने दिन लेने के लिये कहा है, कोर्ट पूरा कीजिए. आधा-अधूरा मत छोड़िए वरना जीवाणु ताकतवर बन जाता है. सरकार एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और आपने देखा होगा, इन दिनों एंटीबायोटिक की जो दवाइयां बिकती हैं, उसका जो पत्ता रहता है, उसके ऊपर एक लाल लकीर से आपको सचेत किया जाता है, आप उस पर जरूर ध्यान दीजिए.
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए मोदी ने कहा देश और दुनिया ने अब्दुल कलाम साहब को उनकी पहली पुण्यतिथि पर याद किया. इस संबंध में अंकित नाम के एक छात्र ने पूछा कि सरकार अब्दुल कलाम के सपनों को साकार करने के लिए क्या कर रही है? अंकित का सवाल सही है.
उन्होंने कहा कि तकनीकी में आये दिन बदलाव हो रहा है. टेक्नोलॉजी को पकड़ा नहीं जा सकता. उसे पकड़ने जाएंगे तब तक वह और आगे निकल जाएगी इसलिए पुरानी तकनीक को छोड़कर नयी को पाने के लिए निरंतर शोध और विकास जरूरी है और इसी के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इस क्रम में एआईएम कार्यक्रम यानी अटल इनोवेशन मिशन तैयार किया गया है और नीति आयोग द्वारा इसे बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे पूरे देश में नया माहौल बनेगा और नये रोगार की सम्भावनायें पनपेगी.
मोदी ने कहा कि इसके लिए स्कूलों को दस लाख रुपये दिए जाएंगे. इस राशि का इस्तेमाल स्कूलों में शोध के लिए लैब स्थापित करने में किया जाएगा. उन्होंने देश की युवा पीढ़ी का आह्वान किया है कि उन्हें जो भी समस्या नजर आती है उसके समाधान के लिए तकनीक को खोजें. सरकार समस्याओं के समाधान के लिये युवकों द्वारा खोजी गयी तकनीक पर विशेष पुरस्कार देकर उन्हें प्रोत्साहित करेगी.
उन्होंने तकनीक में बदलाव नहीं होने को ठहरे हुए पानी की तरह बताया और कहा कि इसमें नयी खोज नहीं होगी तो पुरानी तकनीक ठहरे हुए पानी की तरह बेकार हो जाएगी. तकनीक आज सबसे तेजी से बदल रही है और इस बदलाव में हमें स्कूलों से ही बच्चों को शामिल करना है. स्कूलों से ही शोध और विकास का माहौल तैयार करना है और सरकार इसके लिए स्कूलों को अलग से निधि दे रही है.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जतायी कि टिकरिंग प्रयोगशाला की स्थापना के लिए सरकार को बड़ी संख्या में स्कूलों से आवेदन मिले हैं. उन्होंने कहा कि करीब 13 हार से अधिक स्कूलों ने इस प्रयोगशाला की स्थापना के लिए आवेदन किया है. मोदी ने उम्मीद जतायी कि तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली कठिनाइयों को दूर किया जा सकेगा और नयी पीढ़ी इस दिशा में विशेष उत्साह दिखाते हुए अब्दुल कलाम जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेगी.
देश में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की मौत पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि माता की असमय मृत्यु में कमी आई है. लेकिन आज भी ऐसा हो रहा है तो दुखद है. माताओं के स्वास्थ्य को लेकर हम चिंतित हैं. हमने सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया है. हर महीने की नौ तारीख को निशुल्क जांच की जाएगी. यह जांच सरकारी अस्पतालों में होगी. इससे समय से पहले ही बीमारी का पता लगाया जा सकेगा.