कामशास्त्रियों का मत है कि संभोग के समय नारी को निश्चेष्ट पड़े रहने की अपेक्षा उन्हें भी समान रूप से इसमें हिस्सा लेना चाहिए। जब नारी के शरीर में वासना जगती हो तो वह अपने पुरुष साथी से प्रेम की शुरुआत करे न कि प्रमी द्वारा इसके शुरु होने की अपेक्षा करे। पति-पत्नी दोनों के बीच प्रेम में जब खुलापन …
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