संतोषी चालीसा जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥ श्वेताम्बर रूप मनहारी। माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥ दिव्य स्वरूपा आयत लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन॥ जय गणेश की सुता भवानी। रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥ अगम अगोचर तुम्हरी माया। सब पर करो कृपा की छाया॥ नाम अनेक तुम्हारे माता। …
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