देश और प्रदेशों की सरकारें अच्छा काम करें, अधिकारी ईमानदार हो जाएं और लोग स्वार्थ के बजाय सच्चाई के रास्ते पर चलें तो हम बहुत सारी बेकार फिल्में देखने से बच सकते हैं। अमूमन ऐसा होता नहीं। नतीजा यह कि बरसों से सत्ता, नेताओं और अधिकारियों को ठोकने में इतनी रीलें नष्ट हो चुकी हैं कि फार्मूला दम तोड़ गया …
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