हिंदी पखवाड़े की धूम है। हिंदी को लेकर साल भर तक नाक-भौं सिकोड़ने वालों की जुबान बदल गई है। खासतौर पर सरकारी दफ्तरों में गोष्ठियों और सेमिनारों की धूम है। पूरे साल तक कोने में बैठे उंघता-सा दिखता रहा राजभाषा विभाग इन दिनों जा गया है। वैसे पूरे साल सोने और उंघने की ड्यूटी निभाते राजभाषा विभाग को 1951 से …
Read More »