सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (अाईपीसी) की धारा 377 के एक हिस्से को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। आईपीसी में 1861 में शामिल की गई धारा 377 समान लिंग वालों के बीच शारीरिक संबंधों को अपराध मानती थी। इसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले …
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