इन दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विवादित बयान के कारण मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। भाजपा हमलावर है और उसके कई नेता कमलनाथ को घेर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के नेता ही कमलनाथ के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही एक साल से ज्यादा समय के बाद होने वाले हों, मगर राजनीतिक दांव में तेज हो चले हैं। कमलनाथ ने बीते दिनों विधानसभा में होने वाली चर्चा पर सवाल उठाए थे, साथ ही कथित तौर पर यह भी कहा था कि मैं बकवास सुनने क्यों जाऊं।
इस शब्द को भाजपा ने हाथों हाथ लपक लिया और कमलनाथ पर हमले शुरू कर दिए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को ही कार्यवाही के लिए पत्र लिख दिया। गिरीश गौतम ने कमलनाथ के बयान का परीक्षण और विधि विशेषज्ञों से राय की बात कही है।
भाजपा की ओर से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी कमलनाथ पर तंज कसे हैं तो वहीं यशपाल सिसोदिया ने भी इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है और उन पर कठोरतम कार्रवाई की मांग की है। इतना ही नहीं कमलनाथ के बयान को भाजपा विशेषाधिकार हनन का मुद्दा बनाने वाली है।
एक तरफ जहां विवादित बयान पर भाजपा का चौतरफा हमला कांग्रेस पर और कमलनाथ पर हो रहा है तो वहीं कांग्रेस की ओर से कोई भी प्रमुख नेता सामने नहीं आया है। इसे कांग्रेस के बीच जारी खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। कुल मिलाकर इस मामले में कमलनाथ अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं।