मध्य प्रदेश की 90 हजार शासकीय प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में आज शाला प्रबंधन समितियों का गठन होगा. शैक्षणिक सिस्टम में बेहतर प्रबंधन और शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन के लिए प्रदेश के सभी शासकीय और अनुदान प्राप्त पहली से आठवीं तक संचालित स्कूलों में समितियां गठित होंगी.
18 सदस्यीय इन कमेटी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन स्टूडेंट्स के पैरेंट्स द्वारा होगा. राज्य शिक्षा संचालक द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आने वाले सभी शासकीय प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के लिए यह आदेश जारी किए गए.
इन समितियों पर बच्चों के शाला नामांकन, नियमित उपस्थिति, गुणवत्तायुक्त शिक्षा और अधोसंरचना कार्यों के साथ बच्चों के बहुआयामी विकास की देखरेख करने की जिम्मेदारी रहेगी. राज्य में करीब 90 हजार प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के लिए इन समितियों का गठन होगा. यह अगले 2 शैक्षणिक सत्रों के लिए रहेगी.
शाला प्रबंधक समितियों के 18 सदस्यों में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पैरेंट्स, प्रधान शिक्षक, वरिष्ठ महिला शिक्षिकाओं के साथ स्थानीय वार्ड के पंच/पार्षद या स्थानीय निकाय के सरपंच/अध्यक्ष/महापौर द्वारा नामित नेता या अन्य वार्ड की एक महिला पंच/पार्षद के रूप में निर्वाचित जन-प्रतिनिधि भी शामिल हो सकती हैं.
इन समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के पैरेंट्स द्वारा किया जाएगा. स्कूल के प्रधान शिक्षक, समिति के सदस्य सचिव रहेंगे. शासन द्वारा स्कूल के स्थानीय प्रबंधन के अधिकार भी इन्हीं समितियों को सौंपे गए हैं.