स्वास्थ्य अधिकारी पूर्णिमा डागरिया और इंदौर कलेक्टर के बीच अनबन का विवाद गहराता जा रहा है. कलेक्टर मनीष सिंह को हटाने के लिए गुरुवार की शाम 3 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी लामबंद होकर स्वास्थ्य अधिकारी संभाग आयुक्त पवन शर्मा के कार्यालय पहुंच गए.
इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर कल तक कलेक्टर का इस्तीफा नहीं लिया गया तो सामूहिक इस्तीफा देंगे. साथ ही कर्मचारियों ने शुक्रवार यानि कि आज से सामूहिक स्ट्राइक पर भी जानें की धमकी दी है. हालांकि ऐसा न हो इसको लेकर संभागायुक्त और अन्य अधिकारियों द्वारा सुलह की कोशिश की जा रही है.
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह शिवराज सिंह चौहान के सबसे भरोसेमंद माने जाते हैं. इससे पहले वह नगर निमग में आयुक्त भी रह चुके हैं. सबसे ज्यादा वे चर्चा में कमलनाथ सरकार के दौरान शिप्रा में स्नान के लिए गद्दे पानी को लेकर चर्चा में आए थे.
जिसके बाद कमलनाथ उन्हें पद से हटा भी दिया था. लेकिन सरकार जाने के बाद सत्ता में आए शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें फिर से उज्जैन जिले का कलेक्टर बना दिया था.डॉ. पूर्णिमा ने कलेक्टर पर अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था.
जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कलेक्टर मनीष सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उन्हें पद से हटाने की मांग कर रहे हैं. स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह काम बंद कर हड़ताल करेंगे.
स्वास्थ्य कर्मचारियों का आरोप है कि कलेक्टर उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं.कलेक्टर मनीष सिंह को इंदौर की जिम्मेदारी 2020 में कोरोना की पहली लहर में दी गई थी. बढ़ते कोरोना संक्रमण मामलों की वजह से यहां से तत्कालीन कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव को दिया गया था.
हालांकि कोरोना की पहली लहर में कलेक्टर मनीष सिंह के मैनेजमेंट की बहुत तारीफ भी हुई थी.कलेक्टर मनीष सिंह 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. इनके पिता भी मध्य प्रदेश सरकार में कलेक्टर रह चुके हैं.
कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद सत्ता में आई शिवराज सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव को हटाकर मनीष सिंह को इंदौर का नया कलेक्टर नियुक्त किया था. इंदौर में कोरोना से बेकाबू होती स्थिति को संभालने के लिए मनीष सिंह की तैनाती की गई थी.
हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में भी इंदौर में हालात चिंताजनक हैं. मनीष सिंह एक दबंग छवि के अधिकारी माने जाते हैं और वह इंदौर नगर निगम के कमिश्नर भी रह चुके हैं. उन्हीं के कार्यकाल में इंदौर स्वच्छता के मामले में देश में नंबर वन बना था.
इंदौर में संपत्ति कर भी मनीष सिंह के नगर निगम कमिश्नर रहते हुए ही लागू हुआ था. जिसके चलते इंदौर नगर निगम को काफी राजस्व की कमाई हुई और उसके बाद निगम ने सफाई के लिए कई बड़े कदम उठाए, जो बाद में पूरे देश के लिए नजीर बने.