कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए एक तरफ शशि थरूर ने नामांकन पत्र लिया है तो वहीं अब पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी नामांकन पत्र लिया हैं।केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री के दिल्ली में मौजूद न होने के कारण वह नामांकन पत्र भरेंगे।
नामांकन फॉर्म लेने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, मैं शुक्रवार को नामांकन पत्र भर लूंगा और यह मैं अपने निजी फैसले पर से कर रहा हूं, आलाकमान की तरफ से ऐसा करने के लिए मुझे कोई इशारा नहीं किया है। दिग्विजय सिंह ने नामांकन पत्र की दस कॉपी ली है।
उधर शशि थरूर भी 30 सितंबर को नामांकन पत्र भरेंगे, हालांकि अभी तक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए आगे चल रहा था लेकिन अब स्पष्ट नहीं है कि वह नामांकन पत्र लेंगे या नहीं।
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के लिए हो रहे चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह का नाम सामने आने से राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है, क्या वाकई में मध्य प्रदेश को दूसरी बार यह मौका मिलेगा कि उसके यहां का राजनेता कांग्रेस की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे।
पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने नामांकन पत्र लिया है और वे संभवत शुक्रवार को नामांकन दाखिल भी कर सकते हैं। वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए एक बड़े दावेदार के तौर पर उभरे हैं क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विवादों में घिर गए हैं।
दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं, विधायक से लेकर लोकसभा सांसद का चुनाव जीते हैं और उन्होंने पार्टी के कई प्रमुख पदों पर जिम्मेदारी निभाई है। इसके साथ ही वे गांधी परिवार के करीबियों में गिने जाते हैं।
दिग्विजय से पहले यह चर्चा थी कि मध्य प्रदेश से कमलनाथ राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदार हो सकते हैं मगर उन्होंने साफ कर दिया है कि वे मध्य प्रदेश के अलावा कोई दूसरी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है और वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव तक वे मध्यप्रदेश नहीं छोड़ेंगे।
इसके बाद वरिष्ठ नेताओं की कतार में दिग्विजय सिंह का नाम सबसे ऊपर आ गया है।दिग्विजय सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कतार में शामिल होने के बाद से राज्य की सियासत में हलचल मची हुई है क्योंकि उनके चाहने वालों और विरोधियों दोनों राज्य में कम नहीं है।
इसके बावजूद राज्य में कांग्रेस के नेताओं को किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आ रही है। अंदर खाने सियासी हलचल तेज बनी हुई है। दिग्विजय सिंह के करीबी उत्साहित और खुश हैं मगर वे किसी तरह की राय जाहिर नहीं कर रहे हैं तो दूसरी ओर विरोधी भी चुप हैं।
ज्ञात हो कि राज्य से पहली बार कांग्रेस के अध्यक्ष शंकर दयाल शर्मा बने थे, उनका कार्यकाल 1972 से 1974 तक रहा था। अब अगर दिग्विजय सिंह को यह जिम्मेदारी मिलती है तो राज्य में दूसरा मौका हेागा जब कोई राजनेता यहां से अध्यक्ष बने।
दरअसल अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी हो चुकी है। पर्चा दाखिल करने की प्रक्रिया 30 सितंबर तक चलेगी। यानी जो भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ना चाहता है वह पर्चा दाखिल कर सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाला केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण इस मतदान की देखरेख करेगा।
नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 8 अक्टूबर रखी गई है। वोटिंग 17 अक्टूबर को होगी, जबकि चुनाव परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे, वोटिंग तभी होगी जब दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। अगर एक प्रत्याशी खड़ा होता है तो उसे निर्विरोध चुन लिया जाएगा।