DJ की आवाज के चलते हुई ढाई साल के बच्चे की मौत

डीजे किसी की जान भी ले सकता है. सुनकर शायद थोड़ी हैरानी होगी लेकिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां एक मासूम की मौत का कारण डीजे बन गया. दरअसल मामला बिलासपुर के बेनिनगर का है. यहां रहने वाले कलीम अंसारी के ढाई साल के बेटे की डीजे की तेज आवाज के चलते जान चली गयी.

ऐसा इसलिए क्योंकि उनका बेटा प्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित था. जिसमें इंसान तेज आवाज नहीं सुन पाता है. परिवार वाले कर्नाटक के वेल्लूर में उसका इलाज करवा रहे थे. घटना 31 और 1 सितम्बर की दरमियानी रात की बताई जा रही है. रात के समय एक धार्मिक जुलूस निकला, जिसमें तेज आवाज में डीजे बज रहा था.

जैसे ही यह जुलूस कलीम अंसारी के घर सामने से गुजरा तो डीजे की आवाज सुनकर उनके बेटे अमान अंसारी की तबियत बिगड़ गई और कुछ समय बात उसकी मौत हो गई. दो बेटी के बाद ढाई साल के अमान के जन्म से परिवार में बहुत खुशी थी. लेकिन कुछ समय बाद पता चला कि उसे प्लास्टिक एनीमिया नाम की बीमारी है, जिसका परिजन इलाज भी करवा रहे थे.

लेकिन अब परिवार के दुलारे अमान अंसारी को खोने के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है. अपने दुलारे को खोने के बाद पिता कलीम अंसारी काफी दुखी है. उन्होंने बताया कि 5 सितंबर को वह अपने बेटे को इलाज के लिए वेल्लूर ले जाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन उसके पहले ही उनका बेटा उन्हें छोड़कर चला गया.

31 और 1 सितंबर की दरमियानी रात जो कुछ हुआ उसके लिए वे उन लोगों को कतई दोषी नहीं ठहरा रहे है, जिन्होंने धार्मिक आयोजन में इस बात का ख्याल नहीं रखा कि मोहल्ले और आसपड़ोस में कोई बीमार होगा. लेकिन अंसारी बस इतना चाहते है कि जिला प्रशासन, पुलिस इसके लिए गाइड लाइन तय करें कि कितने डेसिबल तक डीजे साउंड का उपयोग किया जाना चाहिए.

बेटे को खो चुके कलीम अंसारी का पूरा परिवार इस समय दुखो के समंदर में डूबा हुआ है. आने वाले समय मे कलीम अंसारी अपने बेटे के नाम पर एक फाउंडेशन बनाने की तैयारी कर रहे है जिसके जरिये इस तरह के मामलों को शासन प्रशासन के सामने लाकर बीमार लोगों की मदद करेंगे.

कलीम अंसारी का मानना है कि जो उनकी पूंजी थी उसे तो वे खो चुके है, लेकिन अब दुबारा डीजे से किसी के घर में मातम न पसरे उसके लिए वह संघर्ष करेंगे. कलीम अंसारी ने कहा कि वह कुछ दिनों के बाद जिले के कलेक्टर और एसपी से मिलकर निवेदन करेंगे की डीजे और तेज आवाज वाले अन्य साउंड वाले सिस्टम का डेसिबल निर्धारित करे.

उधर मामले की जानकारी जिले पुलिस कप्तान तक पहुंची है. उन्होंने भी जल्द ही इस मामले में नियम को नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्यवाई की बात कही है. बड़ा सवाल यह है कि भले ही इस घटना के बाद अब पुलिस प्रशासन संजीदा दिखाई दे रहा है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि अभी कोरोना में डीजे प्रतिबंधित है, बावजूद इसके धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है.

खास बात यह है कि डीजे से जान जाने का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं जहां डीजे की तेज आवाज से लोगों को परेशानियां हुई हैं. फिर भी लोग इन मामलों में सर्तक होने को तैयार नहीं है.

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