साल 2015 में खेलों में हुए कई घोटाले

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कड़ी मेहनत और लगन के साथ-साथ ईमानदारी और धैर्य भी बेहद जरूरी है। लेकिन समय से पहले सबकुछ हासिल करने की जल्दी खिलाड़ियों, प्रबंधकों और प्रशिक्षकों को गलत रास्ते पर खींच ले जाती है। खेलों की दुनिया में साल 2015 में कई छोटे-बड़े मामले सुर्खियों में रहे। श्रीसंथ के टॉवेल कांड से शुरू हुआ आईपीएल फिक्सिंग का मामला दो चैंपियन टीमों के निलंबन तक जा पहुंचा। खेलप्रेमियों का खेल में विश्वास कायम करने और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए दो श्रेष्ठ टीमों महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली एन श्रीनिवासन की टीम चेन्नई सुपर किंग्स और शिल्पा शेट्टी के मालिकाना हक वाली राजस्थान रॉयल्स को दो साल के लिये निलंबित कर दिया गया।

वहीं विंदू दारा सिंह, गुरुनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा जैसे लोगों के खिलाफ भी कड़े कदम उठाए। आईपीएल में हितों के टकराव को लेकर एक समय क्रिकेट सम्राट कहे जाने वाले एन श्रीनिवासन को भी अपनी गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ा। उल्लेखनीय है। राजस्थान रॉयल्स आईपीएल का सबसे पहला खिताब जीतने वाली टीम है, जबकि चेन्नई सुपर किंग्स ने अब तक सबसे ज्यादा बार फाइनल खेलने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।वैश्विक महाशक्तियों में शुमार रूस को विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी (वाडा) ने निलंबन कर दिया है। डोपिंग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत जांच नहीं करने के चलते रूस के एथलीट्स रियो ओलंपिक 2016 में भाग लेने से वंचित हो सकते हैं।

वाडा के फाउंडेशन बोर्ड ने समिति ने एक सुझाव पारित किया। वाडा की एक स्वतंत्र जांच पेनल द्वारा प्रायोजित डोपिंग कार्यक्रम के खुलासे में विश्लेषण के लिये मांगे गए नमूनों को नष्ट करने का आरोप था।मई 2015 में एक होटल में रिश्वत के आरोप में फीफा अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद जमकर सुर्खियों में आए विवादों ने फुटबॉल की इस सबसे बड़ी संस्था की पोल खोल कर रख दी। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच जब आगे बढ़ी तो माइकल प्लाटिनी और सैप ब्लाटर जैसे दिग्गजों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ा। दरअसल, फुटबॉल विश्वकप के आयोजन के दौरान फीफा के वितरण नियमों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया।

जिससे खेल और अन्य आयोजक देशों को जमकर नुकसान उठाना पड़ा। ज्यूरिख में हुई इस जांच के बाद कई देशों के अधिकारियों को मामले में लंबी कानूनी कार्रवाई से जूझना पड़ रहा हैदेश के 21 वेटलिफ्टरों को प्रतिबंधित दवाओं के इस्तेमाल के आरोप में निलंबित कर दिया गया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिये इन खिलाड़ियों पर चार साल के निलंबन की तलवार लटक रही है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी द्वारा सजा बढ़ाए जाने के बाद अब इस मामले में पहली बार दोषी पाए गये खिलाड़ियों को चार साल के लिए प्रतिबंध झेलना होगा। मामले में दोषी खिलाड़ियों के कोचों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

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