भारतीय कुश्ती महासंघ सुशील कुमार से मुलाकात करेगा, लेकिन उसके ओलंपिक खेलने की उम्मीदें धूमिल पड़ चुकी है.महासंघ ने यह कहकर पुरूषों के 74 किलोवर्ग में ट्रायल कराने से इनकार कर दिया है कि इससे गलत परंपरा बनेगी और भारतीय कुश्ती खत्म हो जायेगी. अदालत से निर्देश मिलने के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह कल दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील से मिलेंगे.
पिछले दो ओलंपिक में पदक जीत चुके 32 बरस के सुशील देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से हैं लेकिन महासंघ कोटा विजेता नरसिंह यादव को भेजने के पक्ष में है. बृजभूषण ने कहा,”मैं कल मुलाकात करूंगा. पहले हम चयन समिति बनाने वाले थे लेकिन अब अदालत ने हमें चार सदस्यीय समिति के गठन का निर्देश दिया है. हम कल मुलाकात करके अपनी राय देंगे.
अदालत ने आज कहा कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और मुख्य कोच की समिति जल्दी से जल्दी सुशील से मिले और मामले को सर्वसम्मति से सुलझाने का प्रयास करे. अदालत ने खेल मंत्रालय और डब्ल्यूएफआई से भी जवाब मांगे हैं और 27 मई को अगली सुनवाई से पहले हलफनामे देने को कहा है.बृजभूषण ने कहा कि डब्ल्यूएफआई ट्रायल नहीं करेगा क्योंकि इससे भारतीय कुश्ती को काफी नुकसान होगा.
बृजभूषण ने कहा, ”अभी तक कोई भी पहलवान यही मानता था कि कोटा लाने पर वह ओलंपिक जायेगा लेकिन जिस दिन यह चलन शुरू हो जायेगा कि कोटा कोई और लाये और ओलंपिक कोई और जायेगा तो उसी दिन भारतीय कुश्ती खत्म हो जायेगी. कोई भी कोटा पाने के लिये कड़ी मेहनत नहीं करेगा.उन्होंने कहा कि मौजूदा विवाद ने अन्य भारवर्गों में क्वालीफाई कर चुके पहलवानों को भी दबाव में ला दिया है. उन्होंने कहा, ”इस मसले के कारण बाकी पहलवान भी दबाव में आ गए हैं.
सभी को चिंता है कि यदि एक वर्ग में ट्रायल हुए तो दूसरे भी ट्रायल की मांग कर सकते हैं. यह भी सही नहीं है कि हम सिर्फ एक भारवर्ग में ट्रायल का आयोजन करे. इसलिये क्वालीफाई कर चुके सभी पहलवान दबाव में हैं.यह पूछने पर कि क्या डब्ल्यूएफआई पर दबाव है, बृजभूषण ने कहा, ”नहीं. यदि लोग महासंघ को दोषी ठहरा रहे हैं तो मैं पूछना चाहता हूं कि हमने क्या किया है. हमने सिर्फ उनके नाम दिये हैं जिन्होंने कोटा हासिल किये हैं. यदि उनके नाम देना गुनाह है तो हमने गुनाह किया है.