पूर्व बल्लेबाज विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती बचपन की रही है और दोनों ने क्रिकेट की शुरुआत एक ही साथ की थी.दोनों दिग्गज क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर के शिष्य रहे हैं. अपनी दोस्ती के लिये मशहूर इन दोनों खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया वक्त के साथ तेंदुलकर अपने दोस्त से आगे निकल गए.
कांबली ने भी भारतीय क्रिकेट में अपना एक खासा मुकाम हासिल किया लेकिन तेंदुलकर की ऊंचाई के करीब भी नहीं पहुंच सके.लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब कांबली का प्रदर्शन शानदार चल रहा था और कई विशेषज्ञों ने उन्हें तेंदुलकर से भी बेहतर खिलाड़ी घोषित कर दिया था लेकिन कांबली अपनी फॉर्म बरकरार नहीं रख सके और जल्द ही टीम से बाहर हो गए.
कहा जाता है कि उनकी दोस्ती में क्रिकेट कभी बीच में नहीं आया जब कि क्रिकेट में ही उनकी दोस्ती फली फूली. कुछ साल पहले एक टीवी चैनल के शो में कांबली यह स्वीकारते दिखे कि अगर सचिन ने चाहा होता तो उनका क्रिकेटीय करियर लंबा हो सकता है. तब ऐसा लगा था कि उनकी दोस्ती में दरार आ गई है. हालांकि बाद में कांबली ने कहा कि उनकी दोस्ती पहले जितनी मजबूत है.
हाल ही में कांबली ने कोच बनने का फैसला किया है. कांबली ने कहा कि क्रिकेट मैदान वह खिलाड़ी नहीं, बल्कि कोच के रूप में वापसी कर रहे है जिसका श्रेय तेंदुलकर को जाता है.उन्होंने कहा जब मैंने क्रिकेट से संन्याय लिया था, तब मैंने कमेंट्री या टीवी पर विशेषज्ञ बनने के बारे में सोचा लेकिन क्रिकेट के प्रति मेरा प्यार हमेशा बना रहा, इसलिये मैं फिर से मैदान पर आ रहा हूं.
बाएं हाथ का यह पूर्व बल्लेबाज मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के बांद्रा कुर्ला परिसर में एक क्रिकेट कोचिंग अकादमी के लॉन्च के मौके पर मौजूद था. इस अकादमी में वह कोचिंग सत्र आयोजित करेंगे. लगातार दो टेस्ट मैच में दोहरा शतक लगाने वाले देश के पहले बल्लेबाज कांबली ने कहा सचिन को पता है मुझे क्रिकेट से कितना लगाव है, इसलिये उन्होंने मुझसे कहा कि मैं कोचिंग देना शुरू करूं.
उन्होंने मुझे जो रास्ता दिखाया मैं उस पर चलने की कोशिश कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि कोचिंग लेने वाले छात्रों को वह उन मूल्यों के बारे में बतायेंगे जो उन्होंने आचरेकर से सिखा है. कांबली ने कहा आचरेकर सर से मिले मूल्यों को मैं छात्रों के साथ साझा करूंगा.