लाइफटाइम का बैन झेल रहे एस श्रीसंत को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं

लाइफटाइम का बैन झेल रहे एस श्रीसंत को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। श्रीसंत की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सवाल किया कि 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में कथित स्पॉट फिक्सिंग के बारे में संपर्क किए जाने पर उन्होंने बीसीसीआई को तुरंत यह बात क्यों नहीं बताई थी?

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि इसे पूरे मामले में उनका आचरण अच्छा नहीं था।निचली अदालत ने 2015 में श्रीसंत को कथित स्पॉट फिक्सिंग में आपराधिक मामले से बरी कर दिया था। हालांकि, बाद में केरल हाई कोर्ट ने श्रीसंत पर लगाए गए लाइफटाइम बैन को बहाल कर दिया।

श्रीसंत ने हाई कोर्ट के उसी फैसले को चुनौती दी है। श्रीसंत ने अपनी अर्जी में निचली अदालत के फैसला का हवाला देते हुए कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से उन पर लगाया गया जीवन भर का प्रतिबंध बहुत कठोर है। ऐसा भी कोई सबूत नहीं है कि जिससे यह साबित हो पाए कि वे किसी अवैध गतिविध में लिप्त थे।

श्रीसंत की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि मई 2013 में आईपीएल के दौरान राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच मैच में स्पॉट फिक्सिंग हुई थी। ऐसा भी कोई सबूत नहीं है कि क्रिकेटर ने इसके लिए किसी से कोई पैसा लिया था।

खुर्शीद ने बेंच के समक्ष कथित बुकी के बीच टेलीफोन वार्ता का भी जिक्र किया। इस पर बेंच ने खुर्शीद से पूछा आप इस बात को तत्काल बीसीसीआई के संज्ञान में क्यों नहीं लाए?खुर्शीद ने कहा कि हालांकि, श्रीसंत ने स्पॉट फिक्सिंग के बारे में संपर्क किए जाने की जानकारी बोर्ड को नहीं दी, ऐसा होने पर भी उस पर ज्यादा से ज्यादा पांच साल का ही प्रतिबंध लगाया जा सकता था।

इस पर बेंच ने कहा इस सबसे यह संकेत मिलता है कि श्रीसंत का आचरण ठीक नहीं था। इसे लेकर किसी प्रकार का संदेह नहीं है। खुर्शीद ने दलील दी कि आरोपों के मुताबिक, श्रीसंत को एक ओवर में 14 रन देने थे, लेकिन उसने उस ओवर में 13 रन ही दिए। उसने एडम गिलक्रिस्ट और शान मार्श के खिलाफ गेंदबाजी की। दोनों बहुत अच्छे बल्लेबाज थे।

उन्होंने कहा कहा जा सकता है कि मुझे (श्रीसंत) पता था कि कोई फिक्सिंग करने की कोशिश कर रहा है और इसे पदाधिकारियों के संज्ञान में लाना चाहिए। यदि इस मामले में ऐसा हुआ भी है तो श्रीसंत पर ज्यादा से ज्यादा पांच साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियों में लिप्त होने पर दुनिया भर में क्रिकेटर्स पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। खुर्शीद ने कहा हालांकि, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान को छोड़कर हैंसी क्रोनिए किसी के भी खिलाफ जीवनभर का प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

खुर्शीद ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का भी हवाला दिया।अजहर पर 2000 में हुए एक मैच में फिक्सिंग स्कैंडल में शामिल होने का आरोप लगा था। उन पर जीवनभर का प्रतिबंध लगा था, लेकिन बाद में वापस ले लिया गया था।

बीसीसीआई के प्रशासकों की समिति (सीओए) की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पराग त्रिपाठी ने कहा कि श्रीसंत के वकील की ओर से दिए गए टेलिफोन वार्ता के अनुवाद की सत्यता पर सवाल उठाए। उन्होंने याचिकाकर्ता के अतिरिक्त दस्तावेज का जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की। इस पर पीठ ने मामले की सुनवाई 20 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

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