सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों के बीच सारे वित्तीय लेनदेन रोक दिये और शीर्ष क्रिकेट संस्था को निर्देश दिया कि जब तक वह न्यायमूर्ति आरएम लोढा पैनल की सुधार की सिफारिशों को लागू नहीं करता वह किसी भी राशि को वितरित नहीं कर सकता, यहां तक कि मैच के आयोजन के लिये भी नहीं।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करने तक पैसे के लेन-देन पर रोक लगी रहेगी। बीसीसीआई अब मैच कराने के लिए स्टेट एसोसिएन्स को पैसे नहीं दे सकती है। कोर्ट ने बीसीसीआई से यह भी पूछा कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें कब तक लागू करेंगे। इस मामले को लेकर शीर्ष कोर्ट ने बीसीसीआई को दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का वक्त दिया है।
शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को यह भी निर्देश दिया कि वे तीन दिसंबर तक शीर्ष अदालत और लोढा पैनल के समक्ष हलफनामा पेश करें कि उन्हें इन सुधारों को लागू करने में कितना समय लगेगा।प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूण और एल नागेश्वर राव की पीठ ने लोढा पैनल को बीसीसीआई के सभी खातों की जांच के लिये स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने के लिये कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूण ने सुनाया। उन्होंने लोढा पैनल से बीसीसीआई द्वारा दिये गये बड़ी राशि के अनुबंधों की जांच ऑडिटर से कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बीसीसीआई के खातों पर नजर रखी जाए। निगरानी के लिए लोढ़ा पैनल ऑडिटर नियुक्त करे। पीठ ने पैनल सचिव को शीर्ष अदालत के आदेश की एक प्रति आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर को भेजने के लिये भी कहा।
उच्चतम न्यायालय ने 17 अक्तूबर को बीसीसीआई में व्यापक सुधारों की लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने के अपने आदेश को बरकरार रखा था। अदालत ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और इसके महासचिव (क्रिकेट परिचालन) रत्नाकर शेट्टी को उन आरोपों के बारे में बताने को कहा था कि बीसीसीआई ने आईसीसी मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव रिचर्डसन को पत्र लिखा था कि लोढा पैनल के निर्देश सरकारी हस्तक्षेप के समान हैं।दोनों क्रिकेट प्रशासकों का बचाव कर रहे सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बीसीसीआई को खलनायक की तरह पेश किया जा रहा है।