आईसीसी ने दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई के कड़े विरोध के बाद आज दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के अपने विवादास्पद प्रस्ताव को वापस ले लिया। बीसीसीआई को इसमें श्रीलंका, जिम्बाब्वे और बांग्लादेश का समर्थन मिला था। आईसीसी के एक सूत्र ने कहा दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के प्रस्ताव पर मुख्य कार्यकारियों की समिति (सीईसी) की दुबई में दो दिवसीय बैठक के दौरान चर्चा हो सकती थी लेकिन चार सदस्यों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए उसे हटा दिया गया है।
आईसीसी अब इस पूरे पहलू पर नये सिरे से गौर करेगी।बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर शुरू से ही इस कदम की कड़ी आलोचना कर रहे थे। उन्होंने इसे वित्तीय रूप से कमजोर देशों के लिये हानिकारक और प्रतिगामी कदम बताया था। ठाकुर ने कहा मैं आईसीसी के सदस्यों का आभारी हूं जिन्होंने हमारी बात को समझा और इस प्रस्ताव को हटाने का फैसला किया।
विश्व क्रिकेट का प्रमुख हितधारक होने के नाते बीसीसीआई सबको साथ लेकर चलने के अपने दृष्टिकोण पर कायम रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि हर किसी के हित और क्रिकेट के विकास से समझौता नहीं हो।भारतीय बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान प्रारूप के कारण खेल का विकास और लोकप्रियता प्रभावित नहीं हो रही है।
ठाकुर ने कहा हम खेल को आगे बढ़ाना चाहते हैं और इसे नये क्षेत्रों तक ले जाना चाहते हैं लेकिन हम ऐसे किसी भी कदम की अनुमति नहीं देंगे जिससे खेल की लोकप्रियता और विकास प्रभावित हो।यह पता चला है कि बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी ने आईसीसी का उनकी बात समझने के लिये आभार व्यक्त किया।
इसकी जानकारी रखने वाले सूत्र ने कहा बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी ने दो स्तरीय प्रणाली का विरोध कर रहे बोर्डों की भावनाओं की समझने के लिए आईसीसी का आभार व्यक्त किया और टेस्ट क्रिकेट को विश्वस्तर पर लोकप्रियता दिलाकर खेल के हित में अपना पूर्ण सहयोग सुनिश्चित किया।
आईसीसी को किसी भी तरह के ढांचागत बदलाव के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती है और उसके लिए यह प्रस्ताव पारित करवाना मुश्किल हो जाता क्योंकि इसके लिए उसे 10 में सात मतों की जरूरत पड़ती। यहां तक कि पारंपरिक रूप से इंग्लैंड और आस्ट्रेलियाई बोर्ड का साथ देने वाले वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) ने भी इस प्रस्ताव को लेकर बीसीसीआई का साथ दिया।
भारत ने हाल में वेस्टइंडीज में चार टेस्ट मैच खेले थे जो कि कैरेबियाई टीम के 2014 के बीच में छोड़े गए भारत दौरे का हिस्सा था। सूत्र ने बताया, ‘रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि वेस्टइंडीज दो स्तरीय प्रणाली के पक्ष में है लेकिन यह इसके ठीक उलट था। वेस्टइंडीज कभी दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के पक्ष में नहीं था।