राजस्थान क्रिकेट एसोएिएशन को नए अध्यक्ष बने सीपी जोशी

राजस्थान क्रिकेट की सत्ता पर सीपी जोशी ने रुचिर मोदी को मात दे दी। जोशी को 33 में से 19 वोट मिले जबकि रुचिर को 14 वोट मिले। चुनाव में कार्यकारिणी के छह पदों में से जोशी गुट के चार तो मोदी गुट के दो पदाधिकारी जीते। चुनाव अधिकारी ए.के. पांडे और लोकपाल ज्ञानसुधा मिश्रा के मौजूदगी में कड़ी सुरक्षा में वोटों की गिनती हुई। जोशी की जीत पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी।

सचिव पद पर आरएस नांदू जीते। वे 17 वोट हासिल कर जीते। नांदू ललित मोदी गुट के हैं।उपाध्यक्ष पद पर इकबाल जीते।संयुक्त सचिव पद पर महेंद्र नाहर जीते।पलड़ा शुरू से ही सीपी जोशी की तरफ झुका लग रहा था। वहीं रुचिर मोदी खेमा भी अपनी जीत निश्चित मान कर चल रहा था। वैसे भितरघात का खतरा दोनों ही खेमों की नींद उड़ाए हुए था। जीत भले ही जोशी की हो गई है, लेकिन उनके लिए कठिनाइयां भी कम नहीं होंगी।

मतगणना से एक दिन पहले भी दोनों ही खेमे अपनी-अपनी जीत का दावा करते रहे। मोदी खेमा जहां पूरी तरह से अपने पैनल की जीत का दावा कर रहा था, लेकिन यह भी मान रहा था कि मुकाबला कांटे का है। एक या दो वोट का ही अंतर रहेगा, लेकिन सुनने में आ रहा है कि अंतिम समय में राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन का नाम वापस लिए जाने से मोदी खेमे में भितरघात की संभावना बढ़ गई थी।

वहीं जोशी खेमा जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नजर आया। हालांकि एक-दो पोस्ट पर इस खेमे से भी भितरघात की खबरें सामने आई हैं। साथ ही आरसीए में लगे ललित मोदी के बड़े-बड़े कटआउट और तस्वीरें भी जल्द वहां से हट जाएंगी।बेशक चुनाव हो जाएंगे और आरसीए की सत्ता भी किसी के हाथ में जाएगी उसके बाद भी कई जिला क्रिकेट संघों के कोर्ट केस चल रहे हैं जो कि कभी भी आरसीए के सामने परेशानी खड़ी कर सकते हैं।

ये भी बीसीसीआई से सस्पेंशन खत्म कराने में बाधा बन सकते हैं। वैसे भी आरसीए में कोर्ट केसों का लंबा इतिहास रहा है।बीसीसीआई से पिछले तीन साल से आरसीए को सस्पेंड किया हुआ है। जो भी जीतेगा उसके लिए सबसे पहला काम बीसीसीआई से सस्पेंशन हटवाना होगा। यह काम इतना आसान नहीं होगा। जब तक ललित मोदी नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने रहेंगे तब तक शायद बीसीसीआई आरसीए का सस्पेंशन निरस्त करे ही नहीं।

इसके लिए रुचिर और जोशी दोनों को ही काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।पहले आरसीए के चुनाव 26 अप्रैल को होने थे, लेकिन रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव ने आरसीए के संविधान संशोधन पर ही ऑब्जेक्शन कर उसे वापस आरसीए को भेज दिया था। रजिस्ट्रार ने कुछ प्वाइंट पर स्थिति साफ करने के लिए आरसीए को लिखा था।

लोढ़ा कमेटी के अनुसार आरसीए के संविधान संशोधन को लेकर रजिस्ट्रार ने जो आपत्तियां की थीं, उसको लेकर भविष्य में मुश्किलें सकती है। बीसीसीआई भी किसी किसी बहाने आरसीए के संशोधित संविधान पर सवाल खड़े कर सकती है।चुनावी चकल्लस में राजस्थान की घरेलू क्रिकेट एक बार फिर पटरी से उतर चुकी है। अब तक अंडर-19 चैंपियनशिप पूरी हो जानी चाहिए थी।

जून में कोल्विन शील्ड की भी शुरुआत हो जाती है जो कि रणजी टीम चयन के लिए महत्वपूर्ण पैमाना मानी जाती है लेकिन घरेलू टूर्नामेंट कराने के लिए तो आरसीए के पास अभी पैसा है और ही समय। ऐसे में बीसीसीआई ही टीम राजस्थान का चयन करेगी।

लगता नहीं कि आरसीए के बैनर तले इस सीजन में राज्य की टीमें खेल सकेंगी।सबसे पहले मुश्किल है आरसीए की कंगाली। इस समय आरसीए के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन तक दे सके। पिछले दो महीने से कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिली है।

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