भारतीय क्रिकेट टीम शनिवार को जिम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज के पहले ट्वंटी 20 मैच में जीत के इरादे से उतरेगी.वनडे सीरीज में क्लीन स्वीप और युवा खिलाड़यों के जबरदस्त प्रदर्शन से उत्साहित भारतीय क्रिकेट टीम हरारे में शनिवार को जिम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज के पहले ट्वंटी 20 मैच में उसी आत्मविश्वास और सफलता को दोहराने के इरादे से उतरेगी.
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली युवा टीम ने जिम्बाब्वे में बेहद सहजता से खेलते हुये तीनों वनडे मैच जीतकर 3-0 से एकतरफा अंदाज में क्लीन स्वीप की थी. इस टीम के खिलाफ भारत की यह लगातार तीसरी वनडे क्लीन स्वीप भी थी. टीम इंडिया की अब कोशिश रहेगी कि वह इसी सफलता को ट्वंटी 20 सीरीज में भी जारी रखे और जीत के साथ शुरूआत करे.
भारतीय टीम ने जिम्बाब्वे को हर विभाग में चित किया था और मनोवैज्ञानिक रूप से भी मेहमान टीम का पलड़ा भारी रहेगा. ट्वंटी 20 में भी उन खिलाड़ियों पर निगाहें रहेंगी जिन्होंने वनडे सीरीज में प्रभावित किया था. इस युवा टीम में सबसे अधिक गेंदबाजों का प्रदर्शन शानदार रहा है और मध्यम तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह दो बार चार विकेट लेने का कारनामा करने के साथ 2.98 के इकोनोमी रेट से नौ विकेट लेकर सबसे सफल रहे थे.
धवल कुलकर्णी ने पांच विकेट, युजवेंद्र चहल ने छह विकेट, अक्षर पटेल ने तीन विकेट और बरिंदर शरण ने तीन मैचों की सीरीज में चार विकेट लिये और सभी गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुये मेजबान जिम्बाब्वे को किसी भी मैच में पूरे 50 ओवर खेलने का मौका नहीं दिया.भारतीय गेंदबाजों ने हर मैच में सफलता हासिल की और ट्वंटी 20 सीरीज में एक बार फिर इनसे इसी प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद की जाएगी.
खुद कप्तान धोनी ने माना था कि भारत को जीत दिलाने में उसके गेंदबाजों का सबसे अधिक योगदान रहा है. गेंदबाजों का ही प्रदर्शन है जिसकी बदौलत टीम इंडिया ने पहले वनडे में नौ विकेट, दूसरे वनडे में आठ विकेट तथा तीसरे वनडे में 10 विकेट से एकतरफा अंदाज में मैच जीतकर सीरीज में जिम्बाब्वे पर क्लीन स्वीप की थी.
ट्वंटी 20 सीरीज में मध्यम तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट और स्पिनर जयंत यादव भी टीम का हिस्सा हैं और देखना दिलचस्प होगी कि आईपीएल में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन की बदौलत राष्ट्रीय टीम में शामिल किये गये इन खिलाड़ियों को अंतिम एकादश में मौका मिलता है या नहीं.उनादकट भारत के लिये सात वनडे अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं लेकिन उन्होंने ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अभी तक पदार्पण नहीं किया है. वहीं जयदेव ने अब तक भारतीय टीम के लिये किसी प्रारूप में पदार्पण नहीं किया है.
वहीं बल्लेबाजी को देखें तो तीनों वनडे मैचों में एकतरफा अंदाज में जीत दर्ज करने वाली टीम इंडिया के मध्यक्रम को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका ही नहीं मिला है. आखिरी वनडे में मैन आफ द मैच और अपने पदार्पण वनडे में शतक ठोकने वाले लोकेश राहुल ने बल्लेबाजी में सबसे अधिक प्रभावित किया और मैन आफ द सीरीज भी बने. राहुल ने 196 के बेहतरीन औसत से 196 रन बनाये और सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे.
इसके अलावा करूण नायर और अंबाटी रायुडू को ही बल्लेबाजी के जौहर दिखाने का मौका मिला. रायुडू ने 103 रन और नायर ने 46 रन बनाये. तीसरे वनडे में बल्लेबाज फैज फजल ने पदार्पण किया और इसका फायदा उठाते हुये उन्होंने नाबाद 55 रन ठोक डाले. हालांकि मनीष पांडे ने न के बराबर ही बल्लेबाजी की है और वनडे सीरीज में एक ही गेंद खेलने का उन्हें मौका मिला है तो वहीं कप्तान धोनी को क्रीज पर उतरने का मौका ही नहीं मिला है. इसलिये उम्मीद की जा सकती है कि ट्वंटी 20 सीरीज में मध्यक्रम को भी बल्लेबाजी का मौका मिले.
भारतीय टीम के लिये यह एक और बड़ा फायदा है कि वह इस सीरीज के भी सभी मैच हरारे में खेलेगी. टीम के युवा खिलाड़यिों के लिये जिम्बाब्वे की परिस्थितियों में ढलना बड़ी चुनौती मानी जा रही थी और अब तक वे सभी यहां अच्छी तरह से पिच को समझ चुके हैं. वहीं मेजबान टीम जिम्बाब्वे के लिये न तो उसके बल्लेबाज कुछ कर सके हैं और न ही गेंदबाज.
जिम्बाब्वे को भारत के खिलाफ खाता खोलने के लिये व्यापक स्तर पर खेल में सुधार करना होगा. हालांकि मेजबान टीम इस बार भी वूसी सिबांदा, सकिंदर रजा, चामू चिभाभा और एल्टन चिगुंबुरा जैसे अनुभवी खिलाड़यिों पर ही निर्भर दिख रही है. सिबांदा ने वनडे सीरीज में एक अर्धशतक सहित 96 रन बनाये थे और टीम के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे वहीं गेंदबाजों में चिभाभा, सकिंदर और तेंदई चतारा एक एक विकेट ही ले सके.