महिलाओं को नारियल कभी नहीं फोड़ना चाहिए जाने क्योँ ?

Coconut

महि‍लाओं को नारि‍यल नहीं फोड़ना चाहि‍ए। पूजन से लेकर भोजन तक में नारि‍यल का उपयोग कि‍या जाता है। बि‍ना नारि‍यल के पूजन को अधूरा माना जाता है। नारि‍यल से शारीरिक दुर्बलता भी दूर होती है। हम आपको बता रहे हैं नारि‍यल से संबंधि‍त कुछ रोचक बातें।आमतौर पर नारियल को बधार कर (फोड़कर) ही देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं। देवताओं को खुश करने के लिए बलि देने की परंपरा थी, जब इस परंपरा पर कानूनी रोक लगी तो नारियल की बलि देने की प्रथा शुरु हो गई।देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है।

नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लाए। इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है।
श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक है।

सम्मान करने के लिए शॉल के साथ श्रीफल भी दिया जाता है। सामाजिक रीति-रिवाजों में भी नारियल भेंट करने की परंपरा है। जैसे बिदाई के समय तिलक कर नारियल और धनराशि भेंट की जाती है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी बांध कर नारियल भेंट करती हैं और रक्षा का वचन लेती हैं।शुक्रवार को महालक्ष्मी के पूजन में एक नारियल रखें और पूजा के बाद उस नारियल को तिजोरी में रख दें।रात के समय तिजोरी से रखें इस नारियल को निकाल कर किसी भी श्रीगणेश के मंदिर में अर्पित कर दें। साथ ही श्रीगणेश से निर्धनता दूर करने की प्रार्थना करें।

एकाक्षी नारियल बहुत ही दुर्लभ है। आमतौर पर नारियल की जटा की नीचे दो बिंदू होते हैं, लेकिन एकाक्षी नारियल में यहां सिर्फ एक ही बिंदू होता है। यह एक बिंदू वाला नारियल बहुत चमत्कारी होता है। जिस घर में यह नारियल होता है वहां महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पैसों की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस नारियल के प्रभाव से घर से वास्तु दोष भी नष्ट होते हैं और परिवार के सदस्यों को कार्यों में सफलता मिलती है।नारियल की तासीर ठंडी होती है।

– ताजा नारियल कैलोरी से भरपूर होता है। इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं।

– नारियल के कोमल तनों से जो रस निकलता है उसे माड़ी (नीरा) कहते हैं उसे लज्जतदार पेय माना जाता है।

सोते समय नारियल पानी पीने से नाड़ी संस्थान को बल मिलता है तथा नींद अच्छी आती है।

– इसके पानी में पोटेशियम और क्लोरीन होता है जो मां के दूध के समान होता है।

– नारियल वातशोधक, विष्टम्भी, पुष्टिकारक, बलवर्धक और वात-पित्त व रक्तविकार नाशक होता है।

जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए।

– शिशु को डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएं। नरियल का पानी हैजे में रामबाण औषधि है।

– नारियल की गिरी (खोपरा) खाने से कामशक्ति बढ़ती है।

मिश्री के साथ खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है।

– सूखी गिरी खाने से आंख की रोशनी तथा गुर्दे को शक्ति मिलती है।

– पौष, माघ और फाल्गुन माह में नियमित सुबह गिरी के साथ गुड़ खाने से वक्षस्थल में वृद्धि होती है, शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।

नारियल ऊपर से कठोर किंतु अंदर से नरम और मीठा होता है। हमें भी जीवन में नारियल की तरह बाहर से कठोर और अंदर से नरम व मधुर स्वभाव बनाना चाहिए। यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियां प्रजनन की कारक हैं और इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूप नारियल को फोडऩा वर्जित किया गया है। इसके साथ ही नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है। ऐसी प्राचीन परंपरा है।

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