मेष-
गणतंत्र का सम्मान प्रबंधन और प्रशासन के प्रति आदरभाव रखने में ही निहित है। समाज को योगदान व्यवस्थाओं के सकारात्मक सुधार में है। सही के लिए अडिग रहना और जिम्मेदारों का उसे सुनना समाज का मुख्य पहलू है।
वृषभ-
देशोत्थान में सहकारिता और उचित आदान-प्रदान बड़ी भूमिका निभाती है। समझौतों साझीदारियों और मिल-जुलकर कार्य करने पर जोर रह सकता है। भाग्यपक्ष प्रबल रहेगा। साथी सहयोगी होंगे।
मिथुन-
गलत और अव्यवस्था का प्रतिरोध देश और समाज में गत्यात्मकता लाता है। सहना और दूसरों के लिए सहने योग्य परिस्थिति निर्मित करना उचित नहीं होता। हर नागरिक को कहने की स्वतंत्रता होना जनतंत्र का अहम हिस्सा है।
कर्क-
समाज की ताकत आपसी जुड़ाव होता है। जुड़ाव सहयोग, सभ्यता और सद्भाव से आता है। गणतंत्र भी हमें यही सीख देता है। प्रेम, शिक्षा, श्रेष्ठ संतान और आर्थिक उत्थान देश को आगे लाते हैं।
सिंह-
तुलसीदास ने लिखा है कि स्वारथ लाग करें सब प्रीति। स्वार्थ का सकारात्मक पक्ष यह है कि हमें जागरुक बनाता है। सचेत रखता है। गलत के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह भी ध्यान रहे, सभ्य के स्वार्थी होने और अधर्मी के स्वार्थी होने में नैतिक अंतर होता है।
कन्या-
आजादी के पक्षधर सभी होते हैं। प्रयास थोड़े लोग करते हैं। साहस, बल, पराक्रम और उर्जा का प्रयोग स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए पहले होना चाहिए। इसमें प्रथम सहयोगी बंधुवर होते हैं। उनका सदा मान होना चाहिए।
तुला-
गणतंत्र का सकारात्मक पक्ष है सौंदर्य, समानता, समता और सहयोगी भाव। सभ्य समाज इनसे ही निर्मित होता है। आदर देना और उसके प्रति सहज सतर्क रहना ही स्वाभिमान है।
वृश्चिक-
देश श्रेष्ठ नेतृत्व के बिना सर्वोत्तम की राह पर नहीं बढ़ सकता है। सलाहकार कितने भी योग्य हों नेता अनोखा और उनसे आगे की सोच रखने वाला होना चाहिए। योग्य और सर्वप्रिय होना चाहिए।
धनु-
समाज की श्रेष्ठता इसमें है कि वह कार्यशील उर्जा का अधिकाधिक दोहन करें। मानव संसाधन में अवरोध बनने वाले तथ्यों व तर्कों को उचित दिशा में मोड़ना आवश्यक है। निवेश और खर्च विकास का अहम अंग है।
मकर-
गणतंत्र सबसे लोकप्रिय व्यवस्था है। यह सभी के हित संरक्षण को सर्वोपरि रखता है। योग्यता को उचित प्रतिफल मिलना चाहिए तभी वह प्रोत्साहित होगा। इसी प्रकार औसत और उससे कम क्षमतावान को उचित परामर्श और समर्थन भी गणतंत्र का सौंदर्य है।
कुंभ-
गणतंत्र और स्वतंत्रता की मूल आवश्यकता है समुचित प्रबंधन। जिम्मेदारों को अपनी भूमिका भान रहने पर ही वे श्रेष्ठ दे सकते हैं। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाना जरूरी है। व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ संरक्षक होती है।
मीन-
गणतंत्र में आस्था और मनोबल का उंचा होना ही देश और देशवासियों का सौभाग्य है। जोश और कर गुजरने की इच्छा के बिना रास्ते बनते न संवरते हैं। कर्तव्यपथ पर बढ़ने के लिए आशाओं का आसमान पूरा खुला होना चाहिए।