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Vinayaki Ganesh Chaturthi Vrat vidhi । विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत विधि

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हिन्दू धर्म में विनायकी गणेश चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्त्व है। जिस प्रकार चतुर्दशी तिथि को शंकर जी की और एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा की जाती है उसी तरह चतुर्थी तिथि में गणेश जी की पूजा की जाती है। विनायकी गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है।

विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत विधि (Vinayaki Ganesh Chaturthi Vrat Vidhi in Hindi)

विनायकी गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान कर, गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद पूरे विधि- विधान से गणेश जी की पूजा और आरती करें।

इस दिन गणेश जी को लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए तथा सिंदूर चढ़ाते हुए इन मंत्रों का जाप करें-

ॐ गणाधिपायनम:। ॐ उमापुत्रायनम:। ॐ विघ्ननाशायनम:। ॐ विनायकायनम:। ॐ ईशपुत्रायनम:। ॐ सर्वसिद्धिप्रदायनम:। ॐ एकदन्तायनम:। ॐ गजवक्त्रायनम:। ॐ मूषकवाहनायनम:। ॐ कुमारगुरवेनम:।

अंत में लड्डू को प्रसाद के रूप में बांट दे तथा 5 ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।

विनायकी गणेश चतुर्थी व्रत फल (Benefits of Vinayaki Ganesh Chaturthi Vrat)

हिन्दू ग्रंथों के अनुसार गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, वह प्रथम पूजनीय देव हैं। विनायकी गणेश चतुर्थी का व्रत पूरे श्रद्धाभाव से रखा जाए तो वह प्रसन्न हो जाते है तथा व्यक्ति के सारे कष्ट हर लेते हैं। “विनायक” भगवान श्री गणेश का ही नाम है। गणेश जी की आराधना से व्यक्ति की सम्पूर्ण इच्छाएं पूरी हो जाती है तथा उसे बल- बुद्धि, ऋद्धि-सिद्ध, सुख-शांति आदि की प्राप्ति होती हैं।

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