Vaishakh Purnima Vrat vidhi । वैशाख पूर्णिमा व्रत विधि

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वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन धर्मराज व्रत रखा जाता है। नारद पुराण के अनुसार इस दिन व्रती जितने द्रव्य ब्राह्मण को दान करता है उसको उतने ही शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह व्रत धर्मराज की संतुष्टि के लिए रखा जाता है।

वैशाख पूर्णिमा व्रत  विधि (Vaishakh Purnima Vrat Vidhi in Hindi)

नारद पुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन प्रातः स्नान कर पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। रात के समय फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि से चंद्रमा की पूजा कर उन्हें जल चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद श्रेष्ठ ब्राह्मण को जल से भरा हुआ घड़ा और विभिन्न प्रकार के पकवान दान करना चाहिए। इसके अलावा स्वच्छ जल से भरे हुए घड़े के साथ ब्राह्मण को सोना दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

वैशाख पूर्णिमा या धर्मराज व्रत फल (Benefits of Vaishakh Purnima Vrat)

मान्यतानुसार के अनुसार धर्मराज व्रत धर्मराज को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस दिन व्रती द्वारा जल से भरे हुए घड़े के साथ पकवान और सोना दान करने से वह कभी शोक में नहीं पड़ता है।

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